Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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72 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2/अप्रैल-जून 2014 १२. तत्त्वार्थसूत्र और उसकी परम्परा - (ग्रं०मा०सं०६७); लेखक : प्रो०
सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९४; पृष्ठ : १४७; आकार : डिमाई;
अजिल्द, मूल्य : रु० ६०.००। १३. जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति (भाग १) (लेखों का संग्रह)
(ग्रं०मा०सं०७०); लेखक: प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९४;
पृष्ठ : ३२, २६४; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। १४. जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति (भाग २) (लेखों का संग्रह)
(ग्रं०मा०सं०७८); लेखकः प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९५;
पृष्ठ : १७६; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। १५. बौद्ध प्रमाणमीमांसा की जैन दृष्टि से समीक्षा - (ग्रं०मा०सं० ८१);
लेखक : डॉ० धर्मचन्द जैन; प्रथम संस्करण १९९५; पृष्ठ : १२, ४३९;
आकार : डिमाई; सजिल्द/अजिल्द, मूल्य : रु० ३५०.००। १६. अनेकान्तवाद और पाश्चात्य व्यावहारिकतावाद - (ग्रं०मा०सं० ८५);
लेखक : डॉ० राजेन्द्र कुमार सिंह; प्रथम संस्करण १९९६, पृष्ठ : १५९,
आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। १७. जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति, (भाग ३) (लेखों का संग्रह)
(ग्रं०मा०सं०८८); लेखक: प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९७;
पृष्ठ : ६, २१९; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु. १५०.००। १८.जैनधर्म में निश्चय और व्यवहार नय : एक अनुशीलन - (ग्रं०मा०सं०
९७) (I.S.B.N. 81-86715-25-8); लेखक : डॉ० रतनचन्द्र जैन; प्रथम संस्करण १९९७; पृष्ठ : २६, २५९; आकार : डिमाई; अजिल्द,
मूल्य : रु० २००.०० तथा सजिल्द, मूल्य : रु० २५०.००। १९.जीवसमास - (ग्रं०मा०सं० ९९) (I.S.B.N. 81-86715-36-3);
अनुवादिका : साध्वी विद्युतप्रभाश्री; प्रथम संस्करण १९९८; पृष्ठ : ४१,
२४४; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० १६०.००। २०. पञ्चाध्यायी में प्रतिपादित जैन दर्शन - (ग्रं०मा०सं० १०८) (I.S.B.N.
81-86715-30-4); लेखिका : डॉ० मनोरमा जैन; प्रथम संस्करण १९९८;
पृष्ठ : २३४; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १२५.००। २१.जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति, (भाग ४) (लेखों का संग्रह)
(ग्रं०मा०सं० १२२)(I.S.B.N. 81-86715-46-0); लेखक : प्रो०