Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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82 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2/अप्रैल-जून 2014 २. जैन साहित्य के विविध आयाम (प्रथम खण्ड)-(ग्रं०मा०सं० ४);
सम्पादक : डॉ० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९८१; पृष्ठ : ८६;
आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० २०.००। (अनुपलब्ध) ३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग १) - (ग्रं०मा०सं० ६);
लेखक : पं० बेचरदास दोशी; द्वितीय संस्करण १९८९; पृष्ठ : १६, ३३०;
आकार : डिमाई, सजिल्द, मूल्य : रु० २४०.००। ४. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग २) - (ग्रं०मा०सं० ७);
लेखक : डॉ. जगदीशचन्द्र जैन वडॉ. मोहनलाल मेहता; द्वितीय संस्करण
१९८९; पृष्ठ : १८, ३६८; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्यः रु० २४०.००। ५. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग ३) - (ग्रं०मा०सं० ११);
लेखक : डॉ० मोहनलाल मेहता; द्वितीय संस्करण १९८९; पृष्ठ : ८+५१०;
आकारः डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० २४०.०० । ६. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग ४)- (ग्रं०मा०सं० १२);
लेखक : डॉ. मोहनलाल मेहता व प्रो० हीरालाल र. कापड़िया; द्वितीय संस्करण १९९१; पृष्ठ : १७, ३८६; आकार : डिमाइ;, सजिल्द, मूल्यः
रु० १६०.००। ७. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग ५) - (ग्रं०मा०सं० १४);
लेखक : पं० अम्बालाल प्रे. शाह; द्वितीय संस्करण १९९३; पृष्ठ : ४०,
२९४; आकारः डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० २४०.००। ८. महामात्य वस्तुपाल का साहित्यमण्डल और संस्कृत में उसकी देन
- (ग्रं.मा.सं. १५); लेखक : डॉ० भोगीलाल ज. सांडेसरा; प्रथम संस्करण १९५९; पृष्ठ : २८०, ३४; ; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु०
१००.००। (अनुपलब्ध) ९. सम्बोधसप्ततिका (संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद एवं पाद-टिप्पणी सहित)
- (ग्रं०मा०सं० १७); अनुवादक : डॉ० रविशंकर मिश्र; प्रथम संस्करण
१९८६; पृष्ठ : ४६; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० २०.००। १०.अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक - (ग्रं.मा.सं. १८);
लेखक : डॉ० प्रेमचन्द्र जैन; प्रथम संस्करण १९७३; पृष्ठ : ११, ३६६; आकार डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। (अनुपलब्ध)