Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 93
________________ 88 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2/अप्रैल-जून 2014 १०. भाषा एवं भाषा विज्ञानः १. प्राकृत भाषा - (ग्रं०मा०सं० ४); व्याख्याता : डॉ० प्रबोध बेचरदास पण्डित; प्रथम संस्करण १९५४; पृष्ठ : ५८; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० ३०.००। (अनुपलब्ध) २. प्राकत दीपिका - (ग्रं०मा०सं० २९) (1.S.B.N. 81-86715-82-7); लेखक : प्रो० सुदर्शन लाल जैन; द्वितीय संस्करण २००५; पृष्ठ : २०, २७२; आकार : क्राउन; अजिल्द/सजिल्द, मूल्य : रु० १००.०० (छात्र संस्करण); रु० २००.०० (पुस्तकालय संस्करण)। ३. प्राकृत चिन्तामणि - रचयिता : आचार्यप्रवर घासीलाल जी; प्रथम संस्करण १९८७; पृष्ठ : १६+१०८; आकार : डबल क्राउन; सजिल्द, मूल्य : रु० १००.००। ४. प्राकृत कौमुदी - रचयिता : आचार्यप्रवर घासीलालाजी; प्रथम संस्करण १९८८; पृष्ठ : २०, ३५५; आकार : डबल क्राउन; मूल्य : रु० २००.००। 5. JAIN PHILOSOPHY OF LANGUAGE- (S.N.145) (1.S.B.N. 81-86715-77-0); by Prof. Sagarmal Jain; 1* Edition 2002; Pages 160; Size: Demy; Hard Bound, Price Rs. 200.00. ११. कोश एवं सुभाषित : १. जिनवाणी के मोती - (ग्रं०मा०सं० १२९) (1.S.B.N. 81-86715 53-3); अनुवादक एवं संग्रहकर्ता : दुलीचन्द जैन; द्वितीय संस्करण २०००; पृष्ठ : ३०४; आकार : डिमाई सजिल्द, मूल्य : रु० ४००.००। २. प्राकृत-हिन्दी कोश - (ग्रं०मा०सं० १७१) (1.S.B.N. 81-86715-49 5); सम्पादक : डॉ० के०आर० चन्द्र; द्वितीय संस्करण २०१२; पृष्ठ : १५,८९०; आकार : रायल आठपेजी; सजिल्द, मूल्य : रु० १२००.००। ३. नानार्थोदयसागर कोष - रचयिता : आचार्यप्रवर घासीलालजी; प्रथम संस्करण १९८८; पृष्ठ : १५, ३९२; आकार : डबल क्राउन; सजिल्द, मूल्य : रु० २००.००। DOCTORAL DISSERTATIONS IN JAINA AND BUDDHIST STUDIES- (S.N. 30); Editors: Dr. Sagarmal Jain & Dr. Arun Pratap Singh, 1st Edition 1983; Pages 12, 100; Size: Demy, Hard Bound, Price Rs. 40.00.

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