Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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86 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 2/अप्रैल-जून 2014 ३. हरिभद्र-साहित्य में समाज एवं संस्कृति - (ग्रं०मा०सं०७२); लेखिका
: डॉ० श्रीमती कमल जैन; प्रथम संस्करण १९९४; पृष्ठ : २२५; आकार :
डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.००। ४. जैन धर्म में नारी की भूमिका - (ग्रं०मा०सं० ७६); लेखक : प्रो०
सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९५; पृष्ठ : ४८; आकार : डिमाई;
अजिल्द, मूल्य : रु० २०.००। (अनुपलब्ध) ५. वसुदेवहिण्डी : एक अध्ययन - (ग्रं०मा०सं० ९६) (I.S.B.N. 81
86715-24-X); लेखिका : डॉ० (श्रीमती) कमल जैन; प्रथम संस्करण
१९९७; पृष्ठ : १२, १६४; आकार : डिमाई; मूल्य : रु० १८०.००। ६. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का अवदान - (ग्रं०मा०सं० १२३)
(I.S.B.N. 81-86715-47-9); लेखक : डॉ० भागचन्द्र जैन भास्कर; प्रथम संस्करण १९९९; पृष्ठ : ६, ९२; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य
: रु०८०.००। ७. ज्ञाताधर्म का साहित्यिक एवं सांस्कतिक अध्ययन - (ग्रं०मा०सं०
१४१) (I.S.B.N. 81-86715-73-8); लेखिका : डॉ. राजकुमारी कोठारी; प्रथम संस्करण २००३; पृष्ठ : १२, १८२; आकार : डिमाई; अजिल्द,
मूल्य : रु० २००.००। ८. जैनधर्म और पर्यावरण संरक्षण - (ग्रं.मा.सं. १४४) (I.S.B.N. 81
86715-77-0); सम्पादक : डॉ० शिवप्रसाद; प्रथम संस्करण २००३; पृष्ठ
: ४, १०४; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० ५०.००। ९. करकण्डचरिउ का सांस्कृतिक अध्ययन - (ग्रं.म.सं. १५७) (I.S.B.N.
81-86715-92-4); लेखक : डॉ० कृष्ण कुमार करण; प्रथम संस्करण
२००८; पृष्ठ : १५, २०४; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु०२५०.००। १०. बृहत्कल्पसूत्रः एक सांस्कृतिक अध्ययन- (ग्रं.मा.सं. १६३) (I.S.B.N.
81-86715-96-8); लेखक : डा. महेन्द्र प्रताप सिंह; प्रथम संस्करण
२००९; पृष्ठ : १३६; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु०२५०.००। ११. महावीरकालीन समाज, संस्कृति और दर्शन की वर्तमान में
प्रासंगिकता- (ग्रं.मा.सं. १६५) (I.S.B.N. 81-86715-99-1); लेखक