Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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प्रकाशन-सूची : 79 22. AN INTRODUCTION TO JAINA SADHANA - (S.N. 75)
(I.S.B.N. 81-86715-06-1) by Prof. Sagarmal Jain; 1st Edition
1995; Pages 89; Size: Demy; Paper back, Price Rs. 40.00. 23. APARIGRAHA: THE HUMAN SOLUTION - (S.N. 110)
(ISBN-81-86715-32-0); by Dr. Kamala Jain; 10 Edition 1998;
Pages 104; Size: Demy; Hard Bound, Price Rs. 120.00. 24. PEACE, RELIGIOUS HARMONY AND SOLUTION OF
WORLD PROBLEMS FROM JAINA PERSPECTIVE - by Prof. Sagarmal Jain; 1s Edition 2002; Pages 64; Size :
Demy; Paper back, Price Rs. 50.00. ५. इतिहास एवं परम्परा : १. मगध - (ग्रं०मा०सं० ११, लघु); लेखक : श्री बैजनाथ सिंह 'विनोद';
प्रथम संस्करण १९५४; पृष्ठ : ६२; आकार : क्राउन; अजिल्द, मूल्य :
रु० ३०.००। २. सुवर्णभूमि में कालकाचार्य - (ग्रं०मा०सं० १३); लेखक : डॉ०
उमाकान्त पी० शाह; प्रथम संस्करण १९५६; पृष्ठ : ५०; आकार : डबल
क्राउन; अजिल्द, मूल्यः रु० २०.००। ३. तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार - (ग्रं०मा०सं० ४२); लेखक : डॉ०
रमेशचन्द्र गुप्त; प्रथम संस्करण १९८८; पृष्ठ :७,३५६; आकार : डिमाई;
अजिल्द, मूल्य : रु० १४०.००( अनुपलब्ध) ४. अर्हत् पार्थ और उनकी परम्परा - (ग्रं०मा०सं० ४३); लेखक : प्रो०
सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९८७; पृष्ठ : ८१; आकार : डिमाई;
अजिल्द, मूल्य : रु० ४०.००। ५. हरिभद्रसूरि का समय निर्णय - (ग्रं०मा०सं० ४७, लघु); लेखक :
मुनि श्रीजिनविजय जी; द्वितीय संस्करण १९८८; पृष्ठ : ७३; आकार :
डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० २०.००। ६. चार तीर्थकर - (ग्रं.मा.सं. ४९); लेखक : पं० सुखलाल संघवी; द्वितीय
(पुनर्मुद्रित) संस्करण १९८९; पृष्ठ : ६, १४९; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु. ६०.००।