Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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प्रकाशन-सूची : 73 सागरमल जैन; प्रथम संस्करण २००१; पृष्ठ : ६, १७५; आकार : डिमाई;
अजिल्द, मूल्य : रु० १००.००। २२.जैन दर्शन में नवतत्त्व - (ग्रं०मा०सं० १३४) (I.S.B.N. 81-86715
62-0); लेखिका : साध्वी डॉ० धर्मशीला, प्रथम संस्करण २०००; पृष्ठ :
२४, ४४४; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्यः रु० ४००.००। २३. मध्यकालीन हिन्दी साहित्य पर जैन दर्शन का प्रभाव- (ग्रं०मा०सं०
१५०) (I.S.B.N. 81-86715-85-1); लेखक : डा. वी. रमेश गाडिया; प्रथम संस्करण २००७; पृष्ठ : ५८८; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य :
रु० ५००.००। २४.जैन अध्यात्मवाद - (ग्रं०मा०सं० १५३) (I.S.B.N. 81-86715-88
6); लेखक : डॉ० श्याम किशोर सिंह; प्रथम संस्करण २००७; पृष्ठ :
१६२; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु० १५०.०० । २५. कर्म ग्रन्थ, (भाग १-३) - (ग्रं०मा०सं० १५६) (I.S.B.N. 81
86715-91-6); लेखक : पं सुखलाल संघवी; द्वितीय संस्करण २००९;
पृष्ठ : २७४; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० ४००.००। २६.जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति, (भाग ७) (लेखों का संग्रह) -
(ग्रं०मा०सं० १५८) (I.S.B.N. 81-86715-93-2); लेखक : प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण २००२; पृष्ठ : ६, १९०; आकार : डिमाई;
सजिल्द, मूल्य : रु० २००.००। २७.जैन दर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था- (ग्रं०मा०सं० १५९)(I.S.B.N.
81-86715-94-0); लेखक : डा० श्वेता जैन; प्रथम संस्करण २००९;
पृष्ठ : ६५६; आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० ६००.००। २८.कर्म ग्रन्थ, भाग ४ -(ग्रं०मा०सं० १६०)(I.S.B.N. 81-86715-95
9); लेखक : पं सुखलाल संघवी; द्वितीय संस्करण २००९; पृष्ठ : २३६;
आकार : डिमाई; सजिल्द, मूल्य : रु० ४००.००। २९. वेदान्त परिभाषा पर न्याय दर्शन के प्रभाव की समीक्षात्मक
परीक्षा - (ग्रं०मा०सं० १६४) (I.S.B.N. 81-86715-98-3); लेखक : डा० रामकुमार गुप्त; प्रथम संस्करण २००९; पृष्ठ : १८८; आकार : डिमाई; अजिल्द, मूल्य : रु०३००.००।