Book Title: Sramana 2014 04
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 74
________________ समाचार : 69 है। षष्ठ अधिकार में सल्लेखना का लक्षण, धारण करने की विधि, निःश्रेयस और अभ्युदय रूप फल तथा उसके अतिचारों का निरूपण है। ग्रन्थ के अन्तिम एवं सातवें अधिकार में ग्यारह प्रतिमाओं के लक्षण के साथ रत्नकरण्ड की आराधना के फल का वर्णन किया गया है। इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का अन्वयार्थ सहित हिन्दी अनुवाद स्थाद्वादमती माता जी द्वारा परमपूज्य भरतसागर जी के सम्पादन में भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद द्वारा प्रकाशित है। इसके अतिरिक्त आचार्य प्रभाचन्द्र रचित संस्कृत टीका का साहित्याचार्य पं० पन्नालाल जी द्वारा अन्वयार्थ सहित हिन्दी अनुवाद वीतराग वाणी ट्रस्ट, टीकमगढ़, म० प्र० से, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट एटा से एवं श्री मुनि संघ साहित्य प्रकाशन समिति सागर से प्रकाशित है। श्री चम्पत राय जैन द्वारा अंग्रेजी में अनुदित इस ग्रन्थ को बाल ब्रह्मचारी हेमचन्द्र जैन 'हेम' द्वारा सम्पादित कर पूज्य श्री कांजीस्वामी स्मारक ट्रस्ट, नासिक द्वारा प्रकाशित किया गया है। परन्तु अभी तक हिन्दी व अंग्रेजी अनुवाद (रोमन ट्रांसलिटरेशन सहित) एक साथ उपलब्ध नहीं है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने इस ग्रन्थ का हिन्दी व अंग्रेजी अनुवाद, रोमन ट्रांसलिटरेशन सहित प्रकाशित करने की योजना बनायी है यह कार्य संस्थान के रिसर्च एसोसिएट डॉ० श्रीनेत्र पाण्डेय द्वारा किया जा रहा है। इसका प्रारूप निम्नवत् हैमूल संस्कृत, रोमन ट्रांसलिटरेशन, अन्वयार्थ, हिन्दी अनुवाद, अंग्रेजी अनुवाद और ग्रन्थ के अन्त में प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली, शब्दानुक्रमणिका व श्लोकानुक्रमणिका । *****

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