Book Title: Sramana 1994 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 76
________________ 202 ऋग्वेद में अर्हत और ऋषभवाची ऋचायें : एक अध्ययन 22. ऋग्वेद भाषा भाष्य, दयानन्द सरस्वती, दयानन्द संस्थान, नई दिल्ली-5 देखें - ऋग्वेद 4 15813 23. भक्तामरस्तोत्र (मानतुंग), 23, 24, 25 त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांस -- मादित्यवर्णममलं तमसः परस्तात् । त्वामेव सम्यगुपलभ्य जयन्ति मृत्यु नान्यः शिवः शिवपदस्य मुनीन्द्र ! पन्थाः ।।23 ।। त्वामव्ययं विभुमचिन्त्यमसंख्यमाद्यं ब्रहमाणमीश्वरमनन्तमनगकेतुम्। योगीश्वरं विदितयोगमनेकमेकं ज्ञानस्वरूपममलं प्रवदन्ति सन्तः ।।24।। बुद्धस्त्वमेव विबुधार्चितबुद्धिबोधात् __त्वं शङ्करोऽसि भुवनत्रयशङ्करत्वात्। धातासि धीर शिवमार्गविधेर्विधानाद् व्यक्तं त्वमेव भगवन् पुरुषोत्तमोऽसि ।।25।। - डॉ. सागरमल जैन, पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी-5. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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