Book Title: Sramana 1994 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 75
________________ प्रो. सागरमल जैन (B) Indian Antiquary, Vol. IX, Page 163. 11. बर्हिषि तस्मिन्नेव विष्णुदत्त भगवान् परमर्षिभिः नाभेः प्रिय चिकीर्षया तदवरोधाय ने मरुदेव्यां धर्मान् दर्शयतु कामो वातरशनानां श्रमणानामृषीणामूर्ध्वमन्धिनां शुक्लया तन्वावतार । - - श्रीमद्भागवत 5 13 120 12. देखें-- (अ) लिंगपुराण 48119-23 (ब) शिवपुराण 52 185 (स) आग्नेयपुराण 10 111-12 (द) ब्रह्माण्डपुराण 14153 (इ) विष्णुपुराण - द्वितीयांश अ. 1126-27. (एफ) कूर्मपुराण 41 137-38 (जी) वराहपुराण अ.74 (एच) स्कन्धपुराण अध्याय 37 (आई) मार्कण्डेयपुराण अध्याय 50 139-41 देखें अहिंसावाणी - तीर्थंकर भ. ऋषभदेव विशेषांक वर्ष 7 अंक 1-2 मरुपुत्र ऋषभ श्री राजाराम जैन, पृ. 87-92 13. वृषभ यथा शृंगे शिशानः दविध्वत् - वृषभ = बैल 8 160 113, 6 116 147, 7 119 11 - 201 14. वृषभः इन्द्रः वज्रं युजं - वृषभ = बलवान 1 133 110 त्वं वृषभः पुष्टिवर्धन - वृषभ = वलिष्ट 1 131 15 15. देखें-- ऋषभ एवं बृषभ शब्द संस्कृत हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली 1984, पृष्ठ 224 एवं 973 16. वृषभः वर्षा करने वाला 5 158 13 ज्ञातव्य है कि स्वामी दयानन्द ने इन्द्र के साथ प्रयुक्त वृषभ शब्द को इन्द्र का विशेषण मानकर उसका अर्थ वर्षा करने वाला किया है। देखें - 5143 113, 5 158 16 17. वृषभः बृहस्पति = कामनाओं के वर्षक बृहस्पति - 10192190 वृषभः प्रजां वर्षतीति वाति बृहतिरेत इति वा तद् वृषकर्मा वर्षणाद् वृषभः । निरुक्तम् (यास्क महर्षि प्रकाशितं ) 912211 18. अनर्थका हि मन्त्राः 19. ऋग्वेद भाषाभाष्य — - देखें ऋग्वेद 10 1111 12 का भाष्य । 20. ऋग्वेद का सुबोध भाष्य पद्मभूषण डॉ. श्री पाद दामोदर सतवलेकर स्वाध्याय मण्डल पारडी - जिला बलसाढ, 1985 देखें ऋग्वेद 10 1111 12 का भाष्य । Jain Education International निरुक्त, अध्याय 1 खण्ड 15 पाद 5 सूत्र 2 - खेमराज श्रीकृष्णदास मुम्बय्यां संवत् 1982 दयानन्द सरस्वती - दयानन्द संस्थान, नई दिल्ली - 5 21. वही, देखें ऋग्वेद 415813 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148