Book Title: Sramana 1994 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
View full book text
________________
प्रो. सागरमल जैन
227
15. आवश्यकनियुक्ति, गाथा 84 16. बहुरय पएस अव्वत्तसमुच्छादुगतिग अबद्धिया चेव।
सत्तेए णिण्हगा खलु तित्थंमि उ वद्रमाणस्स ।। बहुरय जमालिपभवा जीवपएसा ये तीसगुत्ताओ। अव्वत्ताSSसाढाओ सामुच्छेयाऽऽसमित्ताओ।। गंगाओ दोकिरिया छलुगा तरासियाण उप्पत्ती। थेराय गोट्ठमाहिल पुट्ठमबद्धं परविंति।। सावत्थी उसभपुरं सेयविया मिहिल उल्लुगातीरं। पुरिमंतरंजि दसपुर रहवीरपुरं च नगराई।। चोद्दस सोलस वासा चोद्दसवीसुत्तरा य दोण्णि सया। अठावीसा य दुवे पंचेव सया उ चोयाला।। पंच सया चुलसीया छच्चेव सया णवोत्तरा होति। णाणुपत्तीय दुवे उप्पण्णा णिव्वुए सेसा ।। एवं एए कहिया ओसप्पिणीए उ निण्हवा सत्त।
वीरवरस्स पवयणे सेसाणं पव्वयणे णत्थि।। 17. बहुरय जमालिपभवा जीवपएसा य तीसगुत्ताओ।
अव्वत्ताSSसाढाओ सामुच्छेयाssसमित्ताओ।। गंगाए दोकिरिया छलुगा तेरासिआण उप्पत्ती। थेरा य गुट्ठमाहिल पुट्ठबद्धं परुविंति।। जिट्ठा सुदंसण जमालि अणुज्ज सावत्थि तिंदुगुज्जाणे। पंच सया य सहस्सं ढकेण जमालि मुत्तूणं ।।। रायगिहे गुणसिलए वसु चउदसपुब्वि तीसगुत्ताओ। आमलकप्पा नयरि मित्तसिरी कूरपिंडादि।। सियवियपोलासाढे जोगे तदिवसहिययसूले य। सोहम्मि नलिणगुम्मे रायगिहे पुरिय बलभद्दे ।। मिहिलाए लच्छिघरे महगिरि कोडिन्न आसमित्तो अ। णेउणमणुप्पवाए रायगिहे खंडरक्खा य।। नइखेडजणव उल्लग महगिरि धणगुत्त अज्जगंगे य। किरिया दो रायगिहे महातवो तीरमणिनाए।। पुरिमंतरंजि भुयगुह बलसिरि सिरिगुत्त रोहगुत्ते य। परिवाय पुट्टसाले घोसण पडिसेहणा वाए।। विच्छुय सप्पे मूसग मिगी वराही य कागि पोयाइं। एयाहिं विज्जाहिं सो उ परिव्वायगो कुसलो।। मोरिय नउलि बिराली वग्घी सीही य उलुगि ओवाइ। ण्यानो विज्जाओ गिण्ह परिवायमहणीओ।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148