Book Title: Sramana 1994 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 138
________________ सन्दर्भ 1 (अ). णिव्वाणे वीर जिणे छव्वाससदेसु पंचवरिसेसु। पणमासेसु गदेसु संजादो सगणिओ अहवा।। -- तिलोयपण्णत्ति, 4/1499 (ब) पंच य मासा पंच य वासा छच्चेव होंति वाससया। परिणिव्वुअस्सऽरिहतो सो उप्णण्णो सगो राया।। -- तित्थोगाली पइन्नय 623 2. पं. जुगलकिशोरजी मुख्तार, जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, श्री वीरशासन संघ, कलकत्ता, 1956, पृ. 26-44, 45-46 3. मुनि कल्याणविजय, वीरनिर्वाण संवत् और जैन कालगणना, प्रकाशक क.वि. शास्त्र समिति, जालौर (मारवाड़), पृ. 159 4. तित्थोगाली पइन्नयं (गाथा 623), पइण्णयसुत्ताई, सं. मुनि पुष्यविजय, प्रकाशक श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई, 400036 5. तिलोयपण्णत्ति, 4/1499 सं. प्रो. हीरालाल जैन, जैन संस्कृतिरक्षक संघ शोलापुर, 6. कल्पसूत्र, 147, पृ. 145, अनुवादक माणिकमुनि, प्रकाशक -- सोभागमल हरकावत, अजमेर 7. ठाणं ( स्थानांग), अगुंसुत्ताणि भाग 1, आचार्य तुलसी, जैनविश्वभारती, लाडन 7/141 8. भगवई 9/222-229 (अंगसुत्ताणि भाग 2 -- आचार्य तुलसी, जैनविश्वभारती लाडनू) बहुरय पएस अव्वत्तसमुच्छादुगतिग अबद्धिया चेव। सत्तेए णिण्हगा खलु तित्थमि उ वद्धमाणस्स।। बहुरय जमालिपभवा जीवपएसा य तीसगुत्ताओ। अव्वत्ताSSसाढाओ सामुच्छेयाSSसमित्ताओ।। गंगाओ दोकिरिया छलुगा तेरासियाण उप्पत्ती। थेराय गोट्ठमाहिल पुट्ठमबद्धं परुविंति।।। सावत्थी उसभपुर सेयविया मिहिल उल्लुगातीरं। पुरिमंतरंजि दसपुर रहवीरपुरं च नगराइ।। चोद्दस सोलस वासा चौद्दसवीसुत्तरा य दोण्णि सया। अट्ठावीसा य दुवे पंचेव सया उ चोयाला।। पंच सया चुलसीया छच्चेव सया णवोत्तरा होति। णाणुपत्तीय दुवे उप्पण्णा णिव्वुए सेसा ।। -- आवश्यकनियुक्ति 778-783 [नियुक्तिसंग्रह -- सं. विजयजिनसेन सूरीश्वर हर्षपुष्यामृत, जैनग्रन्थमाला, लाखा बाखल, सौराष्ट, 19893 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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