Book Title: Sramana 1994 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 143
________________ विवेचन और परिशिष्ट सहित संकलन का कार्य किया गया। इसके पश्चात् संस्थान द्वारा समस्त प्रकीर्णक साहित्य के हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन का कार्य आरम्भ किया गया। अल्पसमय में ही 5 प्रकीर्णकों, 2 शोध-प्रबन्धों सहित 9 ग्रन्थों का प्रकाशन संस्थान द्वारा किया गया है। प्रो. सागरमल जैन के सम्पादकत्व में आगम संस्थान ग्रन्थमाला सं. 1, 5, 6, 7, 8 के रूप में क्रमशः "देवेन्द्रस्तव", "तंदुलवैचारिक", "चन्द्रावेध्यक", "महाप्रत्याख्यान" और "दीपसागर प्रज्ञप्ति" हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशित है। प्रथम दो प्रकीर्णक संस्थान के शोधाधिकारी डॉ. सुभाष कोठारी एवं शेष तीन शोधाधिकारी डॉ. सुरेश सिसोदिया द्वारा अनूदित हैं। ग्रन्थमाला सं. 2 और 9 के रूप में दो ग्रन्थ "उपासकदशांग और उसका श्रावकाचार", "जैनधर्म के सम्प्रदाय" क्रमशः डॉ. सुभाष कोठारी और डॉ. सरेश सिसोदिया के पी-एच.डी. शोध-प्रबन्ध हैं। इसके अतिरिक्त आचार्य नानेश की पुस्तक का श्री एच.एस. सरुपरिया द्वारा कृत अंग्रेजी अनुवाद "इक्वेनिमिटी, फिलासफी एण्ड प्रैक्टिस", डॉ. प्रेमसुमन जैन और डॉ. सुभाष कोठारी सम्पादित "प्राकृत भारती" भी संस्थान द्वारा प्रकाशित है। संचालकों के प्रयास से जैनविद्या के क्षेत्र में यह संस्थान अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाये, यही हमारी शुभाशंसा है। मद्रास में धार्मिक शिक्षण शिविर का आयोजन (17 अप्रैल-30 मई 1994) दक्षिण भारत जैन स्वाध्यायसंघ द्वारा 17 अप्रैल, 1994 से 30 मई, 1994 के मध्य अलग-अलग तिथियों पर मद्रास महानगर के विभिन्न क्षेत्रों-- ताम्बरम्, आलन्दूर, अम्बतुर, साहूकारपेट, पल्लावरम, रायपेटा, आवडी, पेरम्बुर, रेडहिल्स, पोरूर आदि में ग्रीष्म कालीन धार्मिक शिक्षण शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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