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संगोष्ठी
"धर्म एवं समाज" विषयक त्रि-दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर में दिनांक 5-6 मार्च 1994 को "राष्ट्रीय मानव संस्कृति शोध संस्थान, संकटमोचन रोड, लंका, वाराणसी के तत्त्वावधान में किया गया। इस संगोष्ठी के निदेशक प्रो. हीरालाल सिंहजी, संयोजक प्रो. सागरमल जैनजी (निदेशक), पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी, सह-संयोजक डॉ. झिनकू यादव (मंत्री), मानव संस्कृति शोध संस्थान, डॉ. मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी (रीडर), कला एवं इतिहास, का.हि. वि.वि. थे। संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि माननीय श्री चन्द्रजीत यादव (संसद सदस्य), संगोष्ठी निदेशक प्रो. हीरालाल सिंहजी, समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. के.पी. सिंह
और विषय प्रवर्तक प्रो. सागरमल जैन, सभी के "धर्म एवं समाज" पर सारगर्मित एवं विद्वत्तापूर्ण वक्तव्यों की सभी लोगों द्वारा सराहना की गई।
संगोष्ठी के 5 सत्रों में लगभग 40 शोध-पत्रों का वाचन हुआ। इसमें प्रो. रेवतीरमण पाण्डेय, प्रो. विनोदचन्द्र श्रीवास्तव (का.हि.वि.वि., वाराणसी), प्रो. विवेकानन्द झा, डॉ. राजकुमार, डॉ. संघमित्रा (भारतीय इतिहास एवं अनुसन्धान परिषद, दिल्ली), प्रो. महेन्द्रप्रताप सिंह, डॉ. महेश विक्रम सिंह (काशी विद्यापीठ) के अतिरिक्त बहुत से स्थानीय एवं बाहर के विद्वानों ने भाग लिया।
डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री स्मृति ग्रन्थ
जैनविद्या के मनीषी डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री के बहुआयामी साहित्यिक एवं शोध अवदान व सेवाओं के स्मरण स्वस्प उनके संस्मरणीय उदार व्यक्तित्व के अनुस्प ही पूर्व निर्णयानुसार डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन का कार्य पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज की प्रेरणा से शीघ्र ही आरम्भ हो रहा है।
विद्वानों से अनुरोध है कि डॉ. शास्त्री के विषय में अभी तक जिन सज्जनों ने श्रद्धांजलिया कवितायें, पुण्य-संस्मरण अथवा शोधपरक, मौलिक-निबन्ध आदि न भेजे हों तो वे अपनी रचनायें प्रधान सम्पादक डॉ. राजाराम जैन, महाजन टोली नं. 2, आरा (बिहार) 802301 के पास शीघ्र भेजें।
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