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जैन-जगत पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर, जनवरी-मार्च 1994
7-8 एवं 9 मार्च को जबलपुर विश्वविद्यालय, जबलपुर के दर्शन विभाग में यू.जी.सी. योजनान्तर्गत शिक्षकों हेतु संचालित ओरियन्टेशन कोर्स में प्रो. सागरमल जैन (निदेशक), पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी ने जैन "प्रमाण-मीमांसा" पर तीन व्याख्यान दिये। 25 एवं 26 मार्च को गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद द्वारा आयोजित सेमिनार में प्रो. सागरमल जैन (निदेशक), पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी ने "जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ" शीर्षक शोध-पत्र पढ़ा। 5-6 एवं 7 मार्च को पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर में "राष्ट्रीय मानव संस्कृति शोध संस्थान" द्वारा आयोजित "धर्म एवं समाज : प्राचीनकाल से आधुनिक युग तक" विषयक त्रि-दिवसीय गोष्ठी में प्रो. सागरमल जैन (निदेशक), पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी ने विषय-प्रवर्तन किया।
डॉ. विलास आदिनाथ संगवे पुरस्कृत
जैनविद्या के वरिष्ठ विद्वान् डॉ. विलास आदिनाथ संगवे (कोल्हापुर) को अहिंसा इण्टरनेशनल द्वारा 30 जनवरी 1994 को अहिंसा इण्टरनेशनल डिप्टीमल जैन पुरस्कार (रु. 15,000) से दिल्ली में 30 जनवरी को गुरु नानक फाउण्डेशन सभागार में समारोह पूर्वक पुरस्कृत किया गया। समारोह में राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यानन्द जी एवं विश्वधर्म प्रेरक आचार्य श्री सुशील कुमार (दिवंगत, अप्रैल 1994) के सान्निध्य में भूतपूर्व केन्द्रीय मन्त्री एवं अध्यक्ष, वित्त आयोग श्री के.सी. पन्त द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता श्री चरतीलाल गोयल, अध्यक्ष दिल्ली विधानसभा ने की।
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