Book Title: Shrutsagar 2020 02 Volume 06 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR __February-2020 श्रीसंघनी उन्नति माणिभद्र वीरनी सहायथी विशेषे विशेषे वधे छे तेवी वर्णना करी त्यांथी ज माणिभद्रना स्वरूपनो विस्तृत चितार आलेखे छे । आम कविए बन्ने विषयोने परस्पर सांकळी लीधा होय तेम लागे छ। खास तो अहीं आ कृतिनुं संपादन तेना शब्द वैभवने कारणे करायु छ । संस्कृतादि भाषाओना शब्दाने क्यांक मूळ स्वरूपे प्रयोजी तो क्यांक लालित्यसभर बनावी, क्यांक भाववाचक बनावी तो क्यांक प्रास माटे सामान्य पणे फेरवी कविए एटला अद्भूत रीते प्रयोज्या छे के क्यांक तो प्रथम नजरे अर्थभ्रम ज थई जाय। जो के तेवू करवा जता क्यांक क्लिष्टता पण सर्जाई छ। अने तेथी ज तेवा शब्दो अनवबोध पण रह्या छ। कृतिकार कृतिकार मुनि मोहनसागरजी छे। तेओ शिवसागरजीना विद्वान शिष्य छ। काव्यमां तेमना गच्छादि विशे कोइ नोंध मळती नथी। परंतु तपगच्छ अधिष्ठायक माणिभद्रनी रचना परथी तेओ तपागच्छना होय तेम जणाय छे । हस्तप्रतमां लखायेल (तेमना वडे रचायेल) अन्य कृति (राणकपुर स्तवन)मां तेमने (मोहनसागरे) सं. ७८मां राणकपुरनी यात्रा करी होवानो उल्लेख मळे छ । कृतिनी लेखन शैली जोता लेखन १९मी शताब्दिमां थयेलुं अनुमान करीए तो कृतिकारनो सत्ता समय १८७८ आसपासनो समजी शकाय। आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा वि.सं. १८७०मां आ विद्वानना स्वहस्ते सुंदर अक्षरे लखायेली एक प्रत नं. ३७४३६ छ। आ विद्वाननी अन्य रचनाओमां गुरुगुण भास, गुरुगुण सज्झाय, राणकपुरमंडन आदिजिन स्तवननो समावेश थाय छे । आ तमाम कृतिओ अद्यपर्यंत अप्रकाशित जणाय छ। प्रान्ते प्रस्तुत कृतिनुं संपादन करवा कृतिनी एकमात्र हस्तप्रत नं. ८०९२५ आपवा बदल आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरना व्यवस्थापकोनो खूब खूब आभार। ॥GO॥ श्री सरस्वत्ये(य) नमः ।। गाथा-सावझड। प्रणमुं ईस्वरी धरि(री) इगताला, वचनसुधा वरसति रसाला। वाहन हंस गले वरमाला, देज्यो बालक वचन रसाला देश गोढांणो अति मनुहारू, तेहमां सादडी पुर-शिरदारू । साह वसे तिहां वारू वारू, गृह घण लछी(च्छी) धनद दिदारू राज अछे तिहां नाथजी केरो, तेजथी न रहे दुर्जन नेरो । हाकम मेतो मांन तपेरो', हुकम चलावे न्याव भलेरो ॥१॥ ॥२॥ ॥३॥ For Private and Personal Use Only

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