Book Title: Shrutsagar 2020 02 Volume 06 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 श्रुतसागर फरवरी-२०२० प्रेमविजय कृत ऋषभदेवनी हमची श्रीमती हिरेनाबेन अजमेरा कृति परिचय प्रायः अप्रकाशित प्रस्तुत देशी कृतिनो काव्य प्रकार हमची छे। हमची के हमचडी ए गरबानी देशीनो प्रकार छ । रास-गरबा-फाग-विवाहलो होळी गीतो जेवा काव्योमा वर्तुळाकारे फरी फरीने गावानी प्रक्रिया थाय छ। धार्मिक उत्सवोमां आ प्रमाणे गवाती कृतिओने हमचडी ओळखवामां आवे छे। आ कृतिमां ३४ गाथा अंतर्गत ऋषभदेव परमात्मानुं जीवन सुंदर रीते ढूंकमां वर्णवायेलुं छे । आ अवसर्पिणी काळना प्रथम राजा, प्रथम साधु अने प्रथम तीर्थंकर परमात्माना जन्मथी लई निर्वाण सुधी- वर्णन जोवा मळे छे। शरुआतनी १८ गाथा अंतर्गत ऋषभदेव परमात्माना जन्म समये छप्पनकुमरी केवी रीते हरख घेली थाय छे अने सोळेशृंगार करी तेओ ऋषभदेवने जोवा माटे केवी तलसे छे, तथा तेमना दर्शननी उत्कंठानुं वर्णन मनमोहक तथा विस्तृत रीते कर्ता श्रीप्रेमविजयजीए वर्णव्यु छ। छप्पन दिक्कुमारीओ खूब ज उल्लासपूर्वक ऋषभदेव- सूतकर्म करे छे त्यारबाद अवधिज्ञानी इन्द्र आवी तेमनो अभिषेक करवा मेरुपर्वत पर लइ जाय छे अने आनंद मंगल साथे ओच्छव करे छ। प्रभु ज्यारे यौवन वय थया त्यारे तेमनो विवाह सुनंदा अने सुमंगला साथे करावायो। प्रभुने १०० दीकरा अने २ दीकरी जन्मी। प्रभुना दीक्षानो समय जाणीने नव लोकांतिक देवो द्वारा दीक्षानी विनंती कराइ अने १ वर्ष- वरसीदान कर्या बाद प्रभुए ४००० दीक्षार्थीओ साथे दीक्षा अंगीकार करी । दीक्षाना १००० वर्ष पछी प्रभुने केवलज्ञान थयु । समवसरण रचायु । प्रभुए देशना आपी। गामोगाम विहार करी घणा भव्यजीवोने भवथी पार उतार्या अने अंते निर्वाण समय जाणीने अष्टापद पर्वत उपर अनशननो स्वीकार करी अनंत सुखने पाम्या। कर्ता परिचय कृतिना अंते आपेल प्रशस्तिना आधारे प्रस्तुत कृति श्रीविमलहर्षना शिष्य श्रीप्रेमविजय द्वारा रचायेल छ। कृतिमां घणी जग्याए प्राकृत शब्दोनो उपयोग थयेल छ । सुंदर रागमां गाइ शकाय एवी आ हमचीकाव्यनी रचनामां कर्ताए उपयोग करेल अलंकारिक शब्दोना प्रास कृतिनी सुंदरतामां अनेक गणो वधारो करे छ। कृतिना For Private and Personal Use Only

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