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February-2020 के सामने कार्बन स्याही अन्य स्याहियों की अपेक्षा उत्कृष्ट व टिकाऊ होती है।
(ख) ताप
____ ताप भी कागज पर क्षयकारी प्रभाव डालता है। अधिक समय तक ताप के प्रभाव से कागज को हानि पहुँचती है। सामान्यतया यह कहा जा सकता है कि अधिक ताप के सम्पर्क में आने पर कागज थोडे समय में ही पीला व क्षीण पड़ जाता है। कम तापमान क्षय की प्रक्रिया को शिथिल कर देता है। (ग) नमी ___ कागज में उपस्थित नमी भी उसके स्थायित्व को प्रभावित करती है। नमी की कमी कागज को शुष्क कर देती है व इसे कमजोर बना देती है, वहीं दूसरी ओर, अधिक नमी के कारण, कागज नम व गीला हो जाता है। अधिक नमी, सूक्ष्म जीवों को भी विकसित करती है।
20-24°C तापमान व ५५ प्रतिशत अपेक्षित आर्द्रता कागजी सामग्री के संरक्षण के लिए उपयुक्त होती है। यदि इस प्रकार की जलवायु २४ घण्टे व पूरे वर्ष नियंत्रित रखी जाए तो निम्नस्तर का कागज भी अधिक समय तक अच्छी अवस्था में रह सकता है। कला वस्तुओं व वीथिकाओं का वातानुकूलन ही एक मात्र जलवायु नियंत्रण का उपाय है। रासायनिक अपघटन ___कागज के रासायनिक व भौतिक अपघटन में भेद करना अत्यन्त कठिन है। यह धारणा केवल बोध के लिए है कि एक निश्चित प्रकार का अपघटन, उदाहरण के लिए प्रकाश, ताप व नमी के कारण हुए अपघटन के अंतर्गत आता है। जबकि ये सभी कारक रासायनिक परिवर्तन भी करते हैं। रासायनिक अपघटन के अन्तर्गत उन कारकों को रखा गया है, जो वातावरण में उपस्थित रसायनों के कारण घटित होते हैं। (क) अम्लीयता
यह तथ्य है कि सेल्यूलोज पर अम्ल का प्रभाव होने पर कागज क्षीण व रंगहीन हो जाता है। अम्लीय गैस, धुआँ व धूल, वातावरण में ही उपस्थित रहते हैं। अम्लीय स्याही पाण्डुलिपि को हानि पहुँचाती हैं।
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