________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
27
SHRUTSAGAR
February-2020 ढंकाई जाय छे अथवा झांखो पडी जाय छ ।
आ प्रमाणे संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषामां रचाता स्तुति-स्तोत्रादिसाहित्ये लगभग सोळमी सदीमां नवो पलटो खाधो, जेने परिणामे जे स्तुति-स्तोत्रादिसाहित्य संस्कृत, प्राकृतादि भाषामां निर्माण थतुं हतुं ते अनुक्रमे वधारे ने वधारे गुजराती भाषामां गूंथातुं चाल्यु। आनी असर एटले सुधी थई के न्यायाचार्य श्रीमान यशोविजयोपाध्याय अने तेमना सहाध्यायी श्रीमान विनयविजयोपाध्याय जेवाने पण आ जातनुं विपुल स्तुति-स्तवनादि-साहित्य सर्जवानी आवश्यकता जणाई अथवा एम कहीए के फरज पडी। आ बधाने परिणामे गुजराती भाषाना स्तुति-साहित्यमां ढगलाबंध चैत्यवंदन, स्तुति, स्तवन, देववंदन, पूजाओ, भास, गीत, फाग वगेरे कंई कई प्रकारनी कृतिओनो उमेरो थयो।
आ सिवाय भिन्न भिन्न देशमां पादविहारथी विचरता जैनाचार्यादिए ते ते देशनी भाषामां केटलीक रचनाओ करेली छे, अर्थात् गुजराती, हिंदी, मारवाडी, पंजाबी, कच्छी, दक्षिणी, फारसी वगेरे अनेक भाषामां अनेकानेक कृतिओनी रचना करी छ। आ बधी कृतिओ जोके घणी थोडी मळे छे, तेम छतां ते द्वारा देश-काळ अने प्रजानी असर साहित्य उपर केवी अने केटली थाय छे एनुं माप आपणने मळी रहे छ ।
आ बधा कथननो सार ए छे के, एक काळे आपणे स्तुति-साहित्यना विषयमां क्यां हता अने त्यांथी खसता खसता आजे क्यां आव्या ? तेम ज एने अंगे आपणे केवू अने केटलुं परिवर्तन अनुभव्यु? एनो ख्याल आवी शके।
एक काळे स्तुतिनुं स्वरूप तीर्थंकरदेवना चरित अने उपदेशने श्रद्धापूर्वक जीवनमां उतारवु ए हतुं । ते पछी ए महापुरुषने, तेमना धर्म अने तत्त्वज्ञाननी झीणवटथी परीक्षा करी, ओळखवा सुधी आपणे आव्या, अर्थात् विशुद्ध श्रद्धाबळथी खसी आपणे तर्कनी सराणे चढ्या । ते पछी वळी कालांतरे आपणे ए महापुरुषना जीवननी, धर्मनी के तेमना तत्त्वज्ञाननी तर्क द्वारा सूक्ष्म परीक्षा करवानुं बुद्धिने कष्टदायक कार्य दूर मूकी भक्तिरसमां भळ्या । खरे ज, आथी आपणे प्रज्ञानी तीव्र कसोटीथी कंटाळीने बुद्धिनी मंदतामां प्रवेश कर्यो, एम नथी लागतुं? आ पछी अनुक्रमे पाछा हठता हठता छेवटे आपणे विविध भाषा, छंद, अलंकार आदि साथे संबंध धरावता शब्दाडंबरमां आवी थोभ्या।
(क्रमशः) ["श्री जैन धर्म प्रकाश, सुवर्ण महोत्सव विशेषांक, चैत्र, सं. १९९१]
For Private and Personal Use Only