Book Title: Shrutsagar 2020 02 Volume 06 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 श्रुतसागर फरवरी-२०२० अन्य १२ कृतिओ प्राप्त थाय छे। तेमांथी एक कृति साधुवंदना छे जेमां ते कृतिनी र.सं. १८७३ प्राप्त थाय छे । बीजी कृति त्रिशष्टिशलाकापुरुष चरित्रना परिशिष्ट पर्व पर एमनो टबार्थ मळे छे जेमां र.सं. १८२९ नो उल्लेख छ । तेमनी अन्य कृतिओना नाम आ प्रकार छे- १) कलावती सज्झाय, २) नेमराजीमती स्तवन, ३) पार्श्वजिन स्तवन-भटेवा, ४) सीमंधरजिन स्तवन, ५) सुधर्मास्वामी भास, ६) वासुपूज्यजिन स्तवन, ७) रोहिणीतप चैत्यवंदन, ८) रोहिणीतप सज्झाय, ९) चित्रसेन पद्मावती उपर टबार्थ तथा १०) सीमंधरजिन स्तवन प्राप्त थाय छे। लगभग बधी ज कृतिमां तेमना श्री नयविजयजी नामे गुरुनो उल्लेख मळे छे, पण संवत् स्थल आदि विगत प्राप्त थती नथी। दादागुरुना नाममां क्यांक गंगविजय अने परदादा गुरुमां शुभविजयजीन नाम प्राप्त थाय छे। प्रत परिचय प्रस्तुत कृतिनुं संपादन एकमात्र प्रत राधनपुर-तंबोरी भंडारना दाबडा क्रमांक३३नी अंतर्गत प्रत क्र.-१०५२ ना आधारे करेल छ। आ प्रत क्रमांक पर घणी एकलपत्र प्रतोनो स्केन करी संग्रह करेल छे, जेना अंतर्गत पी.डी.एफ क्रमांक-७२ अने ७३ पर आ कृति प्राप्त थाय छे। १ पत्रमा लखायेल आ प्रतना अक्षर सुंदर अने सुवाच्य छ । गाथांक दंड तथा विशेषपाठ लालस्याहीथी लखायेल छ । प्रतना एक पत्र पर पंक्तिओनी संख्या १० छे । तथा प्रतिपंक्ति अक्षरसंख्या ३५-३९ छ । प्रतने अंते पुष्पिका प्राप्त न थती होवाथी लहिया विषयक माहिती अप्राप्य छ। पुद्गलपरावर्त्त स्तवन ॥GO॥॥ देशी रसीयानी॥ शांत(ति)जिणेसर शांतगुणे करी, सेवथी लहीइ रे शांत जिणेसर। परमाधार कृपानिधि साहिबा, नित तुझ सेवे रे दांत जि० अष्टकरम वयरीना भय थकी, पाम्यो भवो भवें आर्त्त जि० । दीनो(ना)धार धुरंधर गुणनिलो, आव्यो सांभली वार्त्त जि० लोचन एक तणे वर फुरकडे, अहवा चपटी रे मांहि जि० । तेहमां समय असंख्याता होवें, कहुं वली भेदनी चाहिं जि० ॥१॥ शां०... ॥२॥ शां०... ॥३॥शां०... For Private and Personal Use Only

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