Book Title: Shrutsagar 2020 02 Volume 06 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥५४॥
॥५५॥
॥५७||
॥५८॥
श्रुतसागर
फरवरी-२०२० अजा बल-बाकुल चाहे नही ज, मांने पकवांन मीठाई तुं ही ज। शिरोपर छत्र अडाव जडाव, प्रदीप ही धूप सिंदूर चढाव पूजित आठम चउदस जाप, धरे इक चित्त मिले आपोआप। नही तद रोग नही तद सोग, मिले मनवंछित भोग-संयोग मिटे ज्वर ताप एकादश जात, भयंकर भीत विलात कुजात १ । अपुत्रीयां पूत ज प्रापति होत, अलाछीयां लछि वरे घर यो(बो?)त ॥५६॥ दरिद्र अपूठ अखूड भंडार, नमे मछराल तजी मद-भार । बहु नर नारी करे पय सेव, जाउं बलिहारी तुझें यख्यदेव चले मुह आगल खेतल सज्ज, कालो गोरो दोनुं ग्रहीत गुरज्ज। अगम्म सुजोति अनाथ सनाथ, प्रथि मज्झ भूरि तोरा गुण-गाथ लहे ऋद्धि राज तुमारे पसाय, सबे सिद्धकाज तुमारे पसाय । सुसेवग उपर राख पसाय, श्रीमाणकजी महाराज सहाय
॥५९॥ जपो माणिभद्र तजी दंभ दूर, सुकोडि कल्याण लहे भरपूर । गुरु शिवसागर पंडितराय, तणो शिशु मोहनसिंधू भणाय
कलस माणभद्र यख्यराज काज निज दास सुधारे, इच्छत पूरत स्वामि धाम ऋद्धि सिद्धि वधारे। धारक अभय महंत सांति भगति जिनलायक, पायक सुरनर सकल अचल परम सुखदायक। चिदानंद गणधर सधर विबुध सिंधु शिवकजचरण, दास सिंधुमोहन कहत माणिभद्र असरणसरण ।।
॥ इति श्रीछंद संपूर्ण ॥
॥६०॥
शब्दकोश १. नजीक, २. झळहळे, ३. थोडा, ४. स्थविर साधु, ५. सामैयु ६. उत्तेजित थया(?), ७. लोंकागच्छना श्रावको, ८. झगडनारा, ९. चैत्यना द्वार पासे, १०. उद्धत,
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36