Book Title: Shrutsagar 2020 02 Volume 06 Issue 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फरवरी-२०२० ॥२९॥ ॥३०॥ ॥३१॥ ॥३२॥ ॥३३॥ ॥३४॥ श्रुतसागर 12 ताम तपा-साध खास, पोहचे हाकम पास । वदंत ही एम साध, पछे देस्यो अपराध भाखे मल्ल-मांन एम, एतो जोर धरो केम। साध भणे लुंका बोल, नीसरी वजाय ढोल तडक्यो’ हाकम सुण, जोरावरी कीधी घण। माहोमांहिं करे धंध, आपोआप जोर-अंध भोभडा'३ फोडे भडाक्, पाटुंआ पडे पडाक् । लठीयां वजे कडाक्, दृषदां" चले झडाक्६ पूर भर्या मद-छाक", दूर करी भय धाक। त्रपा छोड मथे आक, तो पडे हाक हाक हाक चिंतवी हाकम चित्त, कामेतीकुं कहे वत्त । सांभेला को थोभो लोक, रखे आय देवे झोकर कामेती हुकम सुण, शीघ्र चाल्या सात जण। धमक धमक धाय, थंभीयो सांभेलो जाय तांम लूंका भया भूत, जाणुं राय यमदूत । बकाबक जपे वेण, डक्का जिम फाडे नेण धमधम्या इम सोय, राजसें५ न जोर कोय । बापडा भया गरीब, छागलो पेखी हरीब६७ बोले फिरि का तास, चलो बे हाकम पास। किण विध रोके मुझ, चोरी खाधुं दीसे तुझ मारवाड-दरवाज, थोभीयो सांभेलो साज८ । लुका मिलि दश वीस, चालता पाडता चीस हाकम कचेरी जिहां, आए लोंका-जन तिहां। हाथ जोडी जंपे एम, रोकायो सांभेलो केम कहेत हाकम वात, मरयाद करो घात । सुणि(णी) तद रह्या चुप, पड्या जांणे ब्रह्मकूप ॥३५॥ ॥३६॥ ॥३७|| ॥३८॥ ॥३९॥ ॥४०॥ ॥४१॥ For Private and Personal Use Only

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