Book Title: Shrutsagar 2019 11 Volume 06 Issue 06 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR November-2019 अतिचारोनी पण कंइक विस्तार साथे वात जणावी छ । साकर पामीने राखनी इच्छा कोण राखे जेवी उपमाओ द्वारा कांक्षादि अतिचारोनो त्याग अने ग्राह्य तत्त्वने ग्रहण करवा माटे सुंदर समझ आपी छे । यात्राए जतां मार्गमां पूजा महोत्सव अने वाजिंत्रना नादादि द्वारा जिनगुणनो अनुभव करवा अने विषयरूपी विषना वमननी अद्भत वात जणावी छ । कविना शब्दो, अने भावाभिव्यक्ति भव्यात्माओने भावविभोर करी दे तेवा छे । सरळ शब्दोमां कवि शर्तुजयनो महिमा दर्शावतां जणावे छे के गीरराजनी यात्रा यातां जी सू०, सवि पातक भूको थाता जी। प्रभावना तिहां बह करवी जी सू०, जेणें केवल कमला वरवी जी॥ कविनी एक-एक वात स्पष्ट समझाय तेवी छ। बीजी री'मां वाहनादिना पापोनो त्याग करी शुद्ध आचारवान् बनी पदचारी यात्रानो निर्देश को छे। त्रीजीमां भूमि संथारानी वातमां कविए धन्ना-शालिभद्रनु स्मरण करवा जणाव्यु छ। चोथीमां सचित्तनो त्याग तो कह्यो ज साथे-साथे ए पण जणाव्यु के यात्रार्थ जतां भक्ष्याभक्ष्यनो विवेक राखवो अने भांग, तमाकु वगेरेनो त्याग करवो। पांचमीमां रसासक्तिनो त्याग करी एकासणु करी यात्रा करवानुं कह्यु छ । छट्ठी री'मां बह्मचर्यनी वात करतां सुदर्शन जेवा शीलवान् महापुरुषोनुं स्मरण करवा जणाव्यु छे। छ'री साथे बे टंक प्रतिक्रमण, दान-शील-तप-भाव आम चारेय प्रकारना धर्मनी आराधना साथे यात्रा करवानी कही छे। ___ कविए कृतिमां राजप्रश्नीय जेवा आगमनो संदर्भ टांकवा पूर्वक प्रतिमा पूजानी पुष्टि पण करी छ। भरत चक्रवर्तीथी लई आज लगी नानी-मोटी अनेक संघयात्राओ नीकळी छे, जे प्रसिद्ध छे अने अन्य ग्रंथोथी जाणी शकाय तेम छ। प्रस्तुत कृतिमां कविए कुमारपाळना संघनी नोंध लीधी छे। ___ अंते सिद्धाचलमंडण आदिनाथ प्रभु पासे ऋद्धिविमलजी अन्य सर्व कामना छोडीने अविचल ऋद्धिनी मांगणी करी कृतिनुं समापन करे छ। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36