Book Title: Shrutsagar 2019 11 Volume 06 Issue 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 30 नवम्बर-२०१९ प्राचीन पाण्डुलिपियों की संरक्षण विधि राहुल आर. त्रिवेदी मनुष्य का स्वभाव रहा है कि वह किसी भी वस्तु या व्यक्ति को जाने बिना तत्संबंधी कार्य में प्रवृत्त नहीं होता है। कुछ ऐसी वस्तुएँ होती हैं जिनका कार्य करना ही पुण्य का काम होता है, पाण्डुलिपियों का कार्य भी कुछ ऐसा ही है। पाण्डुलिपि या हस्तलिखित ग्रंथो का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है, उसे जानने के लिए विस्तार से अध्ययन करना होगा, परन्तु पाण्डुलिपियों का क्या महत्त्व है यह जानना आवश्यक है। सबसे पहले पाण्डुलिपि किसे कहते हैं, यह जानना जरूरी है। प्राचीनकाल में मानव द्वारा ग्रन्थों को हस्तनिर्मित ताडपत्र, भोजपत्र, बाँस, कपड़े, कागज़ आदि पर हाथ से लिखा जाता था। कुछ क्षेत्रों में उस कागज पर पीले-पाण्डुरंग की हरताल पुति होने के कारण इन्हें पाण्डुलिपि कहा जाता था। मुद्रणयुग से पूर्व स्वाध्याय व ज्ञान के प्रचार-प्रसार का माध्यम ये पाण्डुलिपियाँ ही थीं। इन पांडुलिपियों के हजारों वर्षों पूर्व के इतिहास को दर्शाने का कार्य लिपियाँ ही करती हैं । लिपि जिसका अर्थ है-लीपना, लिखना। जैन परंपरा के अनुसार प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने अपनी पुत्री ब्राह्मी को अक्षर ज्ञान देकर लिखना सिखाया उसके आधार पर भारत वर्ष की मूल लिपि का नाम ब्राह्मी रखा गया। विश्व की अन्य लिपियों का उद्भव कब हुआ यह तो प्रामाणिक रूप से नहीं कहा जा सकता परन्तु यह तय है कि मनुष्य ने भाषा पहले और लिपि बाद में अर्जित की। तथापि सभ्यता के विकास में लिपि के योगदान को भाषागत योगदान से कम नहीं आंका जा सकता है। अतः लिपि व लेखनकला के अविष्कार को मनुष्य का सर्वोत्कृष्ट आविष्कार माना जा सकता है। समय-समय पर अलग-अलग साधनों के ऊपर लिखने की परम्परा रही है। व्यावहारिक दृष्टि से भाषा और लिपि दोनों एक-दूसरे के लिए नितान्त अनिवार्य हैं। मानव सभ्यता के विकास में इन पांडुलिपियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान में भारत में ५० लाख से अधिक कदाचित एक करोड के आसपास हस्तलिखित ग्रंथ होने की संभावना है। इन अमूल्य ग्रंथों का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। हस्तप्रतों के संरक्षण की जानकारी लेने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि संरक्षण किसे कहते है? संरक्षण अर्थात् सभी प्रकार की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष क्रिया, जिससे For Private and Personal Use Only

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