________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
10
नवम्बर-२०१९ कर्ता परिचय
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा ऋद्धिविमलना नामथी ८ विद्वानोनी सूचनाओ प्राप्त थाय छे । तेमां तेमना गुरुओना नामोमां सिंघविमल, आनंदविमलसूरि तथा सुमतिसागरसूरि वगेरे छ । तेमां प्रस्तुत कृतिना कर्ता कोना शिष्य छे तथा तेमनी अन्य रचनाओ वगेरे माहिती प्राप्त थई शकी नथी। रचना शैलीना आधारे कर्तानो समय अनुमाने १८मी सदी कही शकाय। प्रत परिचय
कृतिनुं संपादन आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर स्थित १८मी सदीनी प्रत क्रमांक ३०७३४ना आधारे करायु छ । बे पानानी प्रतमां १४ जेटली पंक्ति अने प्रतिपंक्ति लगभग ३३ अक्षरो छ। लेखन पद्धतिमां अंक अने दंड लाल स्याहीथी अंकित छे। अंक स्थानमा सामान्य रेखा चित्र जोवा मळे छे। प्रतना मध्यभागे अक्षरमय वापिका छ। प्रतनी स्थिति एकंदरे सारी छ। प्रस्तुत कृतिनी बीजी पण एक प्रत क्र.११३१०३ ज्ञानमंदिर खाते विद्यमान छे पण ते पाछळथी लखायेली अने थोडीक अशुद्ध छे, छतां तेमांथी पाँच-छ शुद्धपाठो ग्रहण कर्या छे अने ते अहीं दर्शावीए छीये- आधार प्रतमां प्रतिलेखक द्वारा गाथांक ३ लखवो रही गयेल छे तथा गाथा १५मां १६मी- प्रथम एक चरण आवी गयेलुं जणाय छे, आ बन्ने क्षतिओने अमे सुधारी छे । गाथा ५मां रहेल एक पद- ते देव न नमीइं सदोषी जी' आमां देव पछीनो 'न' रही जतां बीजी प्रतना आधारे पाठ मूकी शुद्ध कर्यो छे । गाथा १४मां भोमसंथारो' नी जग्याए ‘भोमसंथारी' क£ छ । गाथा १६मां चोथु चरण प्रस्तुत प्रतमां 'जे आपद मद मनवा वारी जी' छे बीजी प्रतमां जे आपद में मन वारी जी' छे, (अमे आदर्शनो पाठ राखेल छे) । गाथा २१मां ‘सानारुपा' ना बदले सोनारुपा' कर्यु छे । गाथा २४, २५मां 'जूयो' नी जग्याए ‘जूओ' कर्यु छ ।
श्रीशगुंजय महातीर्थ छरी पालित संघयात्रा स्तवन ॥:॥ ॥श्रीपर्म(परम) निरंजनाय नमः॥ आवो जी आवो जी सूधा संवेगी, तुम्हे थाओ मगतिना संगी जी सूधा संवेगी। आवो आवो विमलगिर जइये जी सू०, आवो आवो सेजगिर जइये जी सू०।
जिम आपण निर्मल थइये जी सू० ॥१॥ तिहां सोहइ आदिजिणंदा जी सू०, जे तोडे भवना फंदा जी सू०। तस यात्रा विधसूं कीजइ जी सू०, भवोभवनो लाहो लिजे जी सू०
॥२॥
For Private and Personal Use Only