Book Title: Shrutsagar 2019 03 Volume 05 Issue 10 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 6 गुरुवाणी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार्च-२०१९ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी रजो अने तमोगुणी लोको अंते युद्धादि वडे स्वयमेव विनाश पामे छे सर्वत्र देशमां चारे प्रकारना गुण कर्मवाळा मनुष्योमां अध्यात्मज्ञान द्वारा आध्यात्मिक गुणो खीले छे अने तद्देशीय मनुष्यो सात्विक गुणोनी उन्नति प्राप्त करे छे. रजोगुण अने तमोगुणनी उन्नति सदा टकी शकती नथी. रजोगुणी अने तमोगुणीनी उन्नतिथी अभ्युदय पामेला मनुष्यो बाह्य व्यावहारिक स्थूल वस्तुओपर सत्ता भोगवी शके छे अने तेओ सत्व गुणनी दैविक गुणोनी शक्तियोने दबावी शके छे परन्तु अन्ते तो तेओ परस्पर क्लेश युद्धादिवडे यादवास्थळी रचीने स्वयमेव विनाश पामे छे. रजोगुण अने तमोगुणनी शक्तिने आसुरी शक्ति कथवामां आवे छे अने रजो गुण अने तमोगुणमांज राची माची रहेला मनुष्योने सत्वगुणनी अपेक्षाए असुरो-दैत्यो कथवामां आवे छे. सत्वगुणने सेवनाराओ दैवी शक्तिवाळाओ अवबोधवा. विश्वमां दैवी शक्तिवाळा अने आसुरी शक्तिवाळाओनुं पारस्परिक युद्ध सदा प्रवर्त्या करे छे. विश्वमां कोइ समये आसुरी शक्तिना उपासकोनुं प्राबल्य वधे छे तो कोइ समये दैवी शक्तिवाळानुं जोर वधे छे. दैवी शक्ति विश्वनुं संरक्षण करे छे अने आसुरी शक्ति खीलीने अन्ते विश्वना प्राणीओने संहारे छे. आवी बे प्रकारनी शक्तियोनुं पूर्ण रहस्य अवबोध्या विना विश्व मनुष्यो सत्य धर्म अने व्यवहारनुं संरक्षण करवा शक्तिमान् थता नथी. विश्वमां सर्वत्र सर्वथा सर्वदा सत्वगुणनी दैवी शक्तियोनुं साम्राज्य प्रवर्तशे एवं थवानुं नथी तेमज विश्वमां सर्वत्र सर्वथा आसुरी शक्तियोनुं सर्वदा साम्राज्य प्रवर्तशे अने सत्वगुणनी शक्तियोनो सर्वथा तिरोभाव थशे एम पण बनवानुं नथी. विश्वमां कोइ देशमां कोइ कालमां केचिद् जीव द्रव्योमां आसुरी भावनुं मुख्यपणे अने सत्वगुणनुं गौणपणे साम्राज्य प्रवर्त्यं, प्रवर्ते छे अने प्रवर्तशे. विश्वमां कोइ देशमां कोइ कालमां केचिद् आर्य जीवोमां सात्विकगुण शक्तियोनुं मुख्यपणे अने रजोगुण तमोगुणनी आसुरी शक्तियोनुं गौणभावे साम्राज्य प्रवर्त्यं, प्रवर्ते छे अने प्रवर्तशे. For Private and Personal Use Only आत्मज्ञानी महात्माओनुं मुख्य साध्य लक्ष ए होय छे के विश्ववर्त्ति सर्व जीवोने आत्मानुं ज्ञान अर्पने रजोगुण अने तमोगुणथी पराङ्गख करी सत्वगुणाभिमुख करीने तेओने परमात्मपद भोक्ता करवा परन्तु आ तेओनी नेम सर्वथा सर्वदा जीवोनेPage Navigation
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