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श्रुतसागर
मार्च-२०१९ Accent-प्रयत्नभारनो उपयोग करवामां रहेला भेदोने अवलंबे छ। __(२) साधित गुजराती शब्दनी मध्यमां जे ए अने ओ आवे छे ते अइ-अउ ना प्रतिक छे, परंतु ज्यारे वास्तविक उच्चारणमा स्वरभार-प्रयत्न अ (अइ-अउ) उपर आवे छे त्यारे ते ऍ अने ऑ एम विवृत बने छे अने स्वरभार इ के उ (अइ-अउ) उपर आवे छे त्यारे ते ए अने ओ एम संवृत रहे छे । शब्दने अंते अइ-अउ अर्धविवृत अ-ऑकार ने पामे छ। ____ अपभ्रंश अने जूनी गुजराती बोलीमां शब्दनी मध्यमां जे अइ-अउ होय तेनां वर्तमान गुजरातीमां संवृत-विवृत ए-ओ बन्या छे; ए ज स्वरयुग्मो व्रजभाषामां, हिंदीमां अने मारवाडीमां संवृत रूपे ए-ओ अने विवृतरूपे ऐ-औ बने छ । जे गुजराती शब्दोनुं मूळ अपभ्रंश के जूनी गुजरातनी होतुं नथी, पण देश्य, फारसी के उर्दू शब्दो होय छे, ते मूळ शब्दोमांज्यां अय्-अव् होय छे परन्तु गुजरातनी उच्चारणमां अइ-अउ किंवा ऐ-औ प्रचलित थया होय छे, त्यां पण अपभ्रंश तथा जूनी गुजरातीनी पेठे जे विवृतोच्चारनो उपरनो नियम काम करे छे। थोडां उदारहणो ए नियमने स्पष्ट करशे।
(क्रमशः) राष्ट्रसंत प.पू. आचार्यश्री पद्मसागरसूरिजी म.सा. की विहार यात्रा
गाँव कि.मी. | दिनांक
हरीयाणा | १ | फरीदाबाद
९ १९ से २०-०३-१९
दिल्ली मोहनबाबा नगर
१२ | २१-०३-१९ महरौली
१४ | २२-०३-१९ | चांदनी चौक (दिल्ली)
६ २३-०३ से ०३-०४-१९ | साउथ एक्स
१२ | ०४-०४-१९ | महरौली
९ ०४-०४-१९ (शाम) ७ घिटोरजी
६ । गुड गाँव
१५ ०५ से ०६-०४-१९ | शिकोहचुर
१५ ०७-०४-१९ १० मानेसर
९ ०७-०४-१९(शाम)
(अनुसंधान पृष्ठ ३४ पर)
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