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March-2019
SHRUTSAGAR
समाचारसार पूज्य राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा के द्वारा
शौरीपुर तीर्थ में श्री नेमिनाथ भगवान की भव्य प्रतिष्ठा प्रभु नेमिनाथ की च्यवन एवं जन्मकल्याणक भूमि श्री शौरीपुरतीर्थ की पावन धरा पर जीर्णोद्धार स्वरूप नवनिर्मित भव्य जिनप्रासाद में श्री नेमिनाथ भगवान आदि की प्रतिष्ठा महोत्सव दि. २१-२-२०१९, फाल्गुन कृष्णपक्ष-२ से दि. २४-२-२०१९ तक समारोहपूर्वक मनाया गया। योगनिष्ठ पू. आ. श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराजा के दिव्याशीष एवं तपागच्छाधिपति श्री मनोहरकीर्तिसागरसूरीश्वरजी महाराजा के शुभाशीष से शौरीपुर तीर्थोद्धारक राष्ट्रसन्त पूज्य आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा, ज्योतिर्विद् पू. आ. श्री हेमचन्द्रसागरसूरीश्वरजी म. सा., पू. गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी म. सा. आदि श्रमणश्रमणीवृंद की पावन निश्रा में चार दिवसीय महोत्सव भव्य उल्लास के साथ मनाया गया।
महोत्सव के प्रथम दिन दि. २१-२-२०१९ गुरुवार को प्रातः ८.०० बजे द्वारिका नगरी, भरत चक्रवर्ती भोजनखंड तथा अतिथिनगर का लाभार्थियों के द्वारा लोकार्पण हुआ। प्रातः ९.३० बजे महाप्रभावी श्री सिद्धचक्र महापूजन और रात्रि में परमात्मा की भक्ति भावना हुई।
महोत्सव के दूसरे दिन दि. २२-२-२०१९ शुक्रवार के दिन प्रातः १०.३० बजे राष्ट्रसन्त पू. आ. श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा का हृदयस्पर्शी प्रवचन, दोपहर १२.३९ बजे दशदिग्पाल पूजन, नवग्रह पूजन, अष्टमंगल पूजन, श्री क्षेत्रपाल पूजन तथा श्री लघु नंदावर्त पूजन किया गया। रात्रि में हर्षोल्लास के साथ परमात्मा की भक्ति की गई। ____ महोत्सव के तीसरे दिन दि. २३-२-२०१९ शनिवार को प्रातः ८.३० बजे प्राचीन व नवीन सभी जिनबिम्बों, परमात्मा की चरणपादुका, देव-देवियों की प्रतिमा तथा दण्डकलश आदि का अभिषेक विधान, दोपहर ३.०० बजे सांझी व मेंहदी विचरण और सन्ध्याकाल शुभमुहूर्त में चैत्य अभिषेक एवं प्रासादपुरुष की स्थापना की गई। रात्रि में परमात्मा की भक्ति-भावना में संगीतकार राजीव विजयवर्गी ने अपने कर्णप्रिय संगीत के द्वारा उपस्थित जन समुदाय को मन्त्रमुग्ध कर दिया। ___महोत्सव के चौथे दिन दि. २४-२-२०१९ रविवार को प्रातः शुभवेला में माणक स्तम्भ व मंगल तोरण की स्थापना की गई। तत्पश्चात् प्रातः ६.३० बजे शौरीपुर के मूलनायक श्री नेमिनाथ परमात्मा की प्रतिष्ठा की गई, साथ में देव-देवी, ध्वजदण्ड तथा कलश का भी प्रतिष्ठा विधान किया गया। १०.३० बजे सेठ श्री संवेगभाई लालभाई की ओर से
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