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श्रुतसागर
मार्च-२०१९ अध्ययन किया है। इसके अतिरिक्त मानतुंग मानवती, रत्नपाल आदि अन्य कथाओं का सुन्दर अध्ययन भी इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। मानतुंग मानवती में मृषावाद के परिहार की कथा है। इस अध्ययन में समाविष्ट सभी रासों की कथाओं का कथाघटक की अर्वाचीन दृष्टि से किया गया अध्ययन भी उल्लेखनीय है।
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. सीमा रांभिया के द्वारा कवि श्री मोहनविजयजी म. सा. 'लटकाला' की पद्यरचनाओं से सम्बन्धित एक शोध निबन्ध है। इस पुस्तक के प्रथम प्रकरण में मध्यकालीन गुजराती साहित्य का परिचय देते हुए कवि मोहनविजयजी का जीवनचरित्र प्रस्तुत किया गया है। दूसरे प्रकरण में 'पुण्यपाल-गुणसुन्दरी' का सम्पादन उनके संशोधन का शिखर कहा जा सकता है। भाग्य विपर्यय की यह कथा जैन परम्परा के भावकों को श्रीपाल-मयणा की कथा का स्मरण कराती है। तीसरे प्रकरण में पुण्यपाल गुणसुन्दरी रास' का अध्ययन तथा चौथे अध्ययन में चंदराजानो रास' का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। पाँचवें प्रकरण में 'रत्नपाल रास, 'मानतुंग मानवती रास' तथा 'नर्मदासुंदरी रास' का अध्ययन तथा अन्त में 'हरिवाहनराजानो रास' का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है। छठे अध्ययन में चोवीसी तथा अन्य गौण कृतियों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
अंत में परिशिष्ट के अन्तर्गत कवि मोहनविजयजी कृत विजयधर्मसूरिविज्ञप्तिपत्र' का परिचय प्रस्तुत किया गया है तथा सन्दर्भसूची दी गई है। __ इस पुस्तक की छपाई बहुत सुंदर ढंग से की गई है। आवरणपृष्ठ पर छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय, मुम्बई में संरक्षित एक सचित्र हस्तप्रत का आकर्षक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार आवरण पृष्ठ कृति के अनुरूप बहुत ही आकर्षक बनाया गया है। पुस्तक में जगह-जगह काव्यग्रन्थों का मूल पाठ प्रस्तुत किए जाने के कारण प्रकाशन बहूपयोगी सिद्ध होता है।
इस पुस्तक के माध्यम से कवि मोहनविजयजी लटकाला तथा उनकी कृतियों के विषय में महत्त्वपूर्ण सूचनाओं की प्राप्ति हुई है। इस प्रकार लेखिका का यह शोधग्रन्थ मध्यकालीन गुजराती साहित्य के ऊपर अध्ययन करनेवाले विद्वानों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा। लेखिका का संशोधनात्मक अभ्यास निरन्तर जारी रहे ऐसी शुभेच्छा है। विद्वद्वर्ग, संशोधक तथा अन्य जिज्ञासुजन इस प्रकार के उत्तम प्रकाशनों से लाभान्वित होंगे।
अन्ततः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि प्रस्तुत प्रकाशन जैन साहित्य के जिज्ञासुओं को प्रतिबोधित करता रहेगा। इस कार्य की सादर अनुमोदना।
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