Book Title: Shrutsagar 2019 03 Volume 05 Issue 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
मार्च-२०१९ ॥चालि-जत्ति ताल॥ दृढ हूओ तिवारे लेवा दिख्या, मात-पिता दिसि मन्न। आयो घरि मांगै एम अनुमति, वाणि विनय सुवचन्न
॥११॥ ताइ माता तात विचारि दिख्या, तत दुहुँ अनुमति दीध । सोनईया कोई विलस्सि२ सुखेत्रै, कृत्य-महोछव कीध
॥१२॥ राजा प्रहलाद समो भ्रम्ह ३ राजै, कहां नयणसेणकुमार। पुन-जोगि जसोदेवसूरि पशायै, संयम लीधो सार
॥१३॥ वोलांता दीह अनेक वरस्से, सूरि जसोदेव श्र(स)ग्गि। भणि पाटि कहां नन्हसूरि भट्टारिक, जय जिणसासण जग्गि१६ ॥१४॥ राजांन प्रबोध कीयो जिणि रेणा, श्रावक लोक समृद्धि। गच्छ ब(?)ह्मण हूंता दह दिसि गिणिजै, पल्लीवाल प्रसिद्धि ॥१५॥ काउसग्ग अभयदेवसूरि कीयो कृत, पूरित संध्या-पात । नयणे ती सूर निरख्यसि निम्मल, पारिसि हूं परभात
॥१६॥ निय जांणि इसो मनि सूर न दीन्हो, द्रेठालो त्रिणि दीह। अणडोल अभयदेवसूरि रह्यो इम, सीह तणी परि सीह
॥१७॥ सुप्रसन्न प्रतख्य हूओ ए सूरिज, पाइ करे सुप्रणाम । दिव्य आणि रतन्न चिंतामणि दीन्हो, कीजै ए कुण काम
दूहा कांमि किसै सहगुरु कहै, रतनचिंतामणिरूप। श्रीअजितदेवसूरि आखीयो, एहवो नाम अनूप
॥१९॥ चालि सजि ताम प्रसिद्ध दीयो ए, सूरिज साराहइं२२ संसार। सावन्न अजितदेवसूरि सहगुरु, ओपम ए अधिकार
॥२०॥ सुणि शांतिसूरि वडा सिद्धसाक, ध्यान धुरा ध्रमधार५ । श्रीउजोयणसरि सरिंदसरीसर, ग्यांनगणे गणधार
॥ २१॥ १०.? ११. बन्ने १२. वापरी १३. ब्राह्मण १४. कृपाथी १५. पसार थता १६. जगमां १७. ? १८. सूर्यास्त (?) १९. ते २०. जोयो २१. प्रत्यक्ष २२. वखाणे २३. ? २४. सिद्धोमां प्रभावशाळी २५. धर्मने धरनार
॥१८॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36