Book Title: Shrutsagar 2019 03 Volume 05 Issue 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
23
March-2019
॥ ४६॥
॥४७॥
॥४८॥
॥४९॥
॥५०॥
॥५१॥
SHRUTSAGAR
अमरो गांगावतनै मानो इम एका एक अबीह४ । भंडारी गोत्र सुजस्स भणंता दाने साजा दीह लाखो राजधर गोवल रा लख, वेलि थिरोवर धन्न । तेलहरा हेम तणो भ्रमत्ते हिव, कहि कुंअरो कलिक्रन्न पृथमी ते सूरिजमाल पुणंता नैकचरो नखत्रैत । मंगलोनै उदो रूपो मोटिम, बंगाणी बिरदैत ६ रतनो दूदराज धेनावत रेणा, क्रम वडा क्रमराज। कचरेसु वारं वार कहीजे, हेत पिता हंसराज निका व्रिद जोइ वखांणा नाथो, पीथाउत प्रमाण । सोभागर साहसमाल ससोभित, भाग वडै कुलिभांण वणवट्टां साखि विशेष वखाणां, रायांसींघ राजेस । लीलाउत साह लहै लीलापति, नूरो न्याइ नरेस नांथो मानावत गादहीये' निधि, दाखि वीरा दसरथ । पातलसीहो सहसेरा पेखइ, हींसल मोकल हत्थ सीमो मेहराज नाथा रासाव्रन्न, श्रावक्क ध्रम्म सधीर । वइरसाल भादाउत वांन विशेषइ, हेत सदगुरु हीर हीरानंदसूरि कहां हितसागर, ओपम जेणि अनेक । सासत्र तरक्क अस्थ१ निपूस्सो, विद्या जाणि'२ विवेक सुललित सिद्धांत वखांण सुधा सम, रीझंता राजेस। पुर पाटण नयर तिके पेखंतां, पूजि करै सुप्रवेस
दूहा पधारौ जिहां पूजजी, ओच्छव हुवै अपार । श्रावक मोटा सलहीय, धुरि मेवाड ध्रमधार
चालि मेवाड धरा चाणोद्र मल्हावा, मालवीये महिराण। मन्यो जसवत्त मया करि मोटिम, देसपती दीवांण ४४. अद्वितीय ४५. सारा ? ४६. ? ४७. सुंदर ४८. ? ४९. तेज ५०. ? ५१. अर्थ ५२. ?
॥५२॥
॥ ५३॥
॥ ५४॥
॥५५॥
।। ५६॥
॥ ५७॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36