Book Title: Shrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संपादकीय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नवीन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें अपार हर्ष की अनुभति हो रही है। इस अंक में गुरुवाणी के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद्बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ४२ से ४७ तक प्रकाशित की जा रही हैं। इस कृति के माध्यम से आध्यात्मिक उपदेश देते हुए अहिंसा, सत्यपालन, आहारादि से संबंधित साधारण जीवों को प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक ‘Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। अप्रकाशित कृति के अंतर्गत इस अंक में प्रथम कृति के रूप में गणिवर्य सुयशचंद्रविजयजी म.सा. के द्वारा सम्पादित “विचारमंजरी स्तवन" प्रकाशित किया जा रहा है। इस कृति में २४ दंडक पद के २६ द्वारों का वर्णन करते हुए उनके स्वरूप का आलेखन किया गया है. द्वितीय कृति के रूप में आर्य मेहुलप्रभसागरजी म.सा. के द्वारा प्रस्तुत “जैनप्रतिमाओं के लेख” प्रकाशित किया जा रहा है, इस कृति में प. पू. मुनिश्री ने विहार के दौरान साबला, बांसवाडा, रूई, सांवेर आदि स्थानों पर विराजित प्रतिमाजी के लेखों का अध्ययन कर उनका परिचय प्रस्तुत किया है । ये लेख विक्रम की चौदहवीं से सत्रहवीं सदी के हैं। इन लेखों के माध्यम से तत्कालीन ऐतिहासिक साक्ष्यों का परिचय प्राप्त होता है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में " गुजराती भाषासाहित्यमां जैन रासाए अने कविताए लीधेलुं प्रथम स्थान” प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख में जैन रासों तथा कविताओं की विशिष्टता का वर्णन करते हुए गुजराती भाषा साहित्य में उनके महत्त्वपूर्ण स्थान का वर्णन किया गया है। हम यह आशा करते हैं कि इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अवश्य लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे आगामी अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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