Book Title: Shrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 SHRUTSAGAR August-2018 खरेखर सद्वर्तनशाळी उच्च कोटिना पात्रने ज सद्गुणशाळी बनाववानो कविनो आशय स्तुतिपात्र अने उपकारक छे. जैन कविश्रीना अनेक रासोमांथी केटलाक जेमके विमळ मंत्रीश्वरनो रास, कुमारपाळनो रास विगेरेमा ऐतिहासिक ज्ञान आपवानो योग्य प्रयत्न थयो छे, एटले रासोमां मात्र महात्माओना जीवनवृत्तांत नथी, परंतु ऐतिहासिक साहित्य पण आवेल छे. तेनी साथे व्यवहार- ज्ञान, ज्योतिष, सामुद्रीकशास्त्रनुं ज्ञान, पण किंचित् किंचित् जणाय छे वळी महात्मा श्रीकृष्णजी विगेरे यादवो जैनधर्मी हता. __वल्लभीपुरना राजा शीलादित्यना दरबारमां पण जैन महात्माओ धर्म संबंधी संवाद करता हता. वनराज चावडाथी मांडीने विशलदेव वाघेला अने राजा कमारपाळ सुधीनो ईतिहास तपासीए तो तेमां जैन मुनिओ अने जैन मंत्रीओ अनेक थई गया छे, ते देखाय छे, आवा रासा जैन महात्माओ उपरांत जैन गृहस्थोए पण लखी गुजराती साहित्यमां अभिवृद्धि करी छे. जेथी एम जणाय छे के गुजराती साहित्यनी वृद्धि माटे अने धर्मनीतिना सिद्धांत तरफ जनसमूहने वाळी शकाय तेवा पात्रो आगमसूत्रोमांथी पसंद करी, तेमना वर्णनो बताववानो प्रयत्न पण आ रासोमां करवामां आव्यो छे; आम छतां किंचित पण कोईपण महाशये जैन गुजराती साहित्यने अत्यारसुधी पुरतो ईन्साफ आप्यो नथी तेथी ते तरफ जन समाजनुं लक्ष जोइये तेटलुं खेंचायु नथी. जैन कविओ के जेनी कृतीथी गुजराती भाषा गुजरातमां जन्म पाम्यानुं जैन ईतिहासथी प्रथम मान धरावे छे, एम जणाय छे, अने ते गुजराती भाषा गुजराती कवितानी भाषामां (कविताओमां) सवी, नयरी, विगेरे जुनी गुजराती भाषाना शब्दोनो उपयोग थयेलो होवाथी तेने हाथ पण अडाड्यो नथी उपरांत गुजराती भाषाना साहित्यमांथी तेने बहिष्कार करवानें कोईपण रीते वाजबी नथी. जो के आपणी आ गुजराती साहित्य परिषद- लक्ष तेना उपर केटलाक वखतथी गयेल होवाथी जैन साहित्ये गुजराती साहित्यमां पण मोटो फाळो आप्यो छे एम हवे केटलाक साहित्यप्रेमी साक्षर बंधुओने जणायु छे तेथी खुशी थवा जेतुं छे. हालमा मात्र गुजराती पांच धोरण भणी इंग्रेजी स्कुलो अने आगळ कोलेजोमां दाखल थइ, भणी अने उपाधि मेळवनार केटलाक गुजराती बंधुओ कहे छे के हालमां विद्वानोनी संस्कृतमय गुजराती भाषा अमाराथी समजाती नथी, तेटला उपरथी तेवा विद्वानोनी तेवी कृति वांचवाथी दूर रहेवाय नहि, तो पछी तेनाथी गुजराती भाषाने पण गुजराती भाषा साहित्य न कहेवू एम बनेज नहीं. प्रथमथीज जैन साहित्य तरफ For Private and Personal Use Only

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