Book Title: Shrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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'तुंड पाठ प्रत नं. २मां मळे छे.
मनयोगी ते सन्नी कहिओ, असन्नीओ तेह विण लहिओ", पुरुषवेद स्त्रीवेद-भिलाष" उभय नपुंसकवेद" दुरास पर्यापति” आहार शरीर, इंदिय सास उसास वि पूर, भाषा मनोयोग छह थई, सम्यग् - मिथ्यादृष्टि 3 बि हुई त्रीजी मिश्र तेहनो भेद, दर्शन टालइ भवनो खेद,
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चक्खु अचक्खु अवधि केवला, नाण'' पंच ते जगि पडवडा
श्रुतसागर
पहिलो दंडक नारय' तणो, भवनपति - दस दंडक सुणो,
2-11
थावर पंच-2-16 विगलिंदिय तिन्नि7-19, पंचिंदिय तिरि" नर" ए दुन्नि ॥३॥ विं ( वं) तर "जोइस " वेमाणिया, इणि परिं चऊवीसे जाणिया, चऊवीसे दंडकना नाम, बोल छवीस सुणो हिविं ठाम
ओरालिय वेकरिय' शरीर', आहारक मुनि करइ ज धीर, तेजस कारमणा' प्रधान, अवगाहना' तेहनो मान पहिलुं वज्जरिसहनाराच, बीजो कहीइं रिसहनाराच, त्रीजो नाम वली नाराच, चऊथो अर्द्धनाराच ज साच पंचम नाम निखर कीलिका, छट्ठो छेवट्ठो तिम तथा, ए संघयण' कहिया संठाण', समचउरंस निगोह निदाण सादि वामनो कुबज हुंड, छट्ठो विव(वि)ह प्रकारइ भुंड*, आहारइ पुद्गल आहार, भय मेहुण परिग्रह उदार कोह माण माया वली लोभ, नवमी लोक अनेरी ओघ', हेउवाद' दीहकालिकी, त्रीजी कही दृष्टिवादिकी कोहादि जे च्यारि कसाय', सर्व जीवनइ करइ अपाय', लेश्या' कृष्ण नील कापोत, तेजो पद्म शुक्ल उद्योत श्रोत चक्षु जिह्वा नासिका, 'स्पर्श पंच ए जन मोषका' समुदघात' दोय जीव अजीव, भेद सात भोगवइ सजीव प्रथम वेदि (द) नी बीय कसाय, त्रीजो मारणांतिकि (क) कहवाई, वैक्रिय आहारक तेजसं, केवली करइ केवली जिसं
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अगस्त २०१८
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