Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नवीन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। प्रस्तुत अंक में गुरुवाणी शीर्षक के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ३० से ३५ तक प्रकाशित की जा रही हैं। इस कृति की गाथाओं के माध्यम से आध्यात्मिक उपदेश देते हुए अहिंसा, सत्यपालन, आहारादि से संबंधित साधारण जीवों को प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन प्रस्तुत किया गया ___ अप्रकाशित कृति के अंतर्गत ज्ञानमंदिर की कार्यकर्ती सुश्री मीनाक्षी शिन्दे के द्वारा संपादित कृति “दस दृष्टांत सज्झाय” प्रकाशित किया जा रहा है। इस कृति के अन्तर्गत मानव भव के दुर्लभ दस दृष्टान्तों का वर्णन किया गया है। द्वितीय अप्रकाशित कृति के रूप में आर्य श्री मेहुलप्रभसागरजी द्वारा सम्पादित “सतरहभेदी पूजा” प्रकाशित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत प्राचीन आचार्य मुनि श्री जिनगुणप्रभसूरिजी ने जिनपूजा का महत्त्व व उसकी विशेषता बतलाते हुए सतरहभेदी पूजा का वर्णन किया है। यह कृति अद्यावधि प्रायः अप्रकाशित है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में "श्वेताम्बर सम्प्रदाय के ८४ गच्छ” प्रकाशित किया जा रहा है, जिसमें मुनि जिनविजयजी ने श्वेताम्बर सम्प्रदाय के ८४ गच्छों का तथा उनमें कालान्तर में आए हुए उतार-चढाव का विस्तार से वर्णन किया है। आशा है, इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अधिकाधिक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे अगले अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36