Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
June-2018 मद्दलताल कंसाला, वीणा वंस विसाला
॥२८॥ इणिपरि वाजित्र वायइ, अंगइ हरष नमाइ। सतर ए पूजा ए सारी, भविण(भवियण) नइ सुखकारी
॥२९॥ करीय शक्रस्तव भावइं, जिनवंदन इम सावइ । निर्मल समकितधारी, इणपरि हवय भवपारी
॥३०॥ ॥दहा ॥ जिनसासन जिनवर तणी, पूजा प्रगट प्रमाण । द्रव्य भाव भेदइ करी, जाणउ चतुर सुजाण
॥३१॥ आगम माहे अतिघणी, पूजा विवध प्रकार। समकितधारी सुर तणइ, वली विसेष विचार
॥३२॥ रायपसेणी जांणीयइ, जीवाभिगम विचार । न्याता अंगइ निरखीइ, सतर भेद सुविचार
॥३३॥ तिणि परि श्रावक सवि करइ, समकित निर्मल थाइ। तवनबंधि ते मइ कही, सगुरु तणइ सुपसाइ
॥कलश॥ इम जैनशासन धरीय वासन, दुरिय नासन दुहहरो। जिनबिंब पूजी करीय वंदन, सकल नंदन सुहकरो। श्रीचंद्रगच्छइ साख खरतरगच्छ वेगड सुंदरो। श्रीजैनगुणप्रभसूरि सुहगुरु सीस जंपै जयकरो"
॥३५॥ ॥इति सतरभेदी पूजा स्तवनं ॥
पाठांतर १. फूलघर, २. अट्ठ, ३ नाटिका, ४. गरुय, ५. कही, ६. चित्त, ७. निरमल, ८. तन, ९. तणा ए, १०. सुरहि, ११. मंदिर, १२. नमणि, १३. अवलोइ, १४. परखालै, १५. सोइ, १६. अंगलूहण, १७. यह पङ्क्ति आदर्शप्रति में नहीं है, १८. बावन चंदन, १९. कस्तूरि, २०. हेमपिंगाणी, २१. करै करै, २२. सुठाणि, २३. जाणि, २४. दीक्षा, २५. देववस्त्र, २६. पहिरावै, २७. सुगंध सुरंगा, २८. वस्त्रयुगलि, २९. सुम, ३०. मन हरषीयै, ३१. मंडीयै, ३२. दीजै दीजै, ३३. मायै, ३४. यह गाथा कोबा की प्रति में नहीं है, ३५. फूलघड्यो, ३६. बांधीयोजी, ३७. सिरि, ३८. पूर्णकलस, ३९. सुविसाल, ४०. सुक्खकारण, ४१. उत्तम, ४२. नंदावर्त्त, ४३. यह पद नहीं है, ४४.स्वरै, ४५. जनमन, ४६. घुम घुम घुम घुम, ४७. रंगै नाचै ए, ४८. सुसाख, ४९. सदगुरु, ५०. सुहकरो॥
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