Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सोमविमलसूरि रचित दश दृष्टांत सज्झाय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीनाक्षी आर. शिंदे दुर्लभतानी ज्यारे वात आवे त्यारे मानवजन्म तरफ स्वाभाविक ध्यान आकृष्ट थाय छे। केमके शास्त्र-ग्रंथोमां मनुष्यभवदुर्लभतानी वातो ठेर ठेर अने भारपूर्वक टांकवामां आवी छे अने ते गुरुभगवंतोना प्रवचनादिना माध्यमे अवार-नवार श्रवणगोचर थती रहे छे. तेमां पण वात ज्यारे दृष्टांत साथे समझाववामां आवे छे त्यारे अघरी वात पण आबालवृद्ध सर्वेने सरलताथी समझाई जाय छे. नरभवनी दुर्लभता दर्शाववा माटे अहीं १०-१० दृष्टांतो आपवामां आव्या छे. तेथी ज आ कृति 'दश दृष्टांत सज्झाय' तरीके उल्लेखित छे. जैन गुर्जर कविओ (भा.२ पृ. ७) मां आ कृतिना नाममां ‘सज्झाय’ शब्दनी जग्याए 'गीतो' शब्द वापरवामां आवेल छे जे वधु संगत जणाय छे. श्रीयशोविजय जैन ग्रंथमाळा व्यवस्थापक मंडळ भावनगर द्वारा वि. १९७३मां प्रकाशित ऐतिहासिक सज्झायमाळा (भा-१ पृ.४) अन्तर्गत सोमविमलसूरिना परिचयमां आ कृतिना नाममां 'गीता' शब्द वापरेल छे. जैन परंपरानो इतिहास (भा. ३ पृ. ६८९) मां पण 'गीता' शब्द जोवा मळे छे. आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा स्थित आ ज कृतिनी एक प्रत नं.१०३५३मां 'दस दृष्टांत गीतानि संपूर्णानि एवं जोवा मळे छे. अमारा द्वारा संपादन माटे आधार तरीके लीधेल प्रतमां 'सज्झाय' शब्द उल्लेखित होवाथी अमे ते राखेल छे. संपादन पद्धति-संपादन पद्धतिमां अमें एक प्रतने आदर्श राखी प्रधानताए तेनो पाठ संपादनमां राखेल छे, अन्य प्रतना पाठांतरोने फुटनोटमां मूक्या छे. आदर्श प्रतमां पण अशुद्ध पाठने फुटनोटमां राखी तेनी जग्याए अन्य प्रतमांथी मळता शुद्ध पाठोनें स्थान आपेल छे. संपादनमां वापरेल त्रणेय प्रतोमां आदर्श प्रतने A तथा अन्य बे प्रतोने B अने C नो संकेत आपेल छे. प्रतोनी विशेष माहिती प्रत परिचयमां आपी छे. कृति परिचय : दश ढाळ अने ७५ गाथाओमां निबद्ध आ कृतिना प्रारंभे कर्ता द्वारा निर्मळ मति हेतु कृति रचनामां भगवती सरस्वतीनी प्रार्थना करवामां आवी छे. कृतिमां आवती त्रिपदी ढालो, भाव, प्रासबद्ध शब्द- वाक्य संरचना कृतिने विशिष्टता तो बक्षे ज छे For Private and Personal Use Only

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