Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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॥७॥
॥८॥
॥१०॥
श्रुतसागर
जून-२०१८ बावीस बेटा रायना ए, ते नवि भणीआ मूरख एक मना ए।। ईणइ अवसरि मुथरापुरी ए, राजा जित्रसत्र (जितशत्रु) गज रथ बहतरी ए ॥६॥ नरवृत पुत्री तेहनइ ए, नृप चिंतइ वर जोईइ एहनइ ए। पूछइ ए पुत्री कवण तुझ, वर जोई अ कीजइ कहि मुझ स्वामि सुरेंद्रदत्त मइ वरिउ ए, कला लक्षण कोडिइ परवारिओ ए। तेह राधावेध साधसि ए, जग माहे तस जस वाघसिइ ए सयंवर मंडप तिहां करइ ए, राय राणा सघला नहुतरइ ए। जितशत्रु समस्त परिवारसिउ ए, सहु आवइ निअ मनि हरखसिउ ए ॥९॥ चक्र दोइ खंभ उपरि धरइ ए, अवलानइ सवला ते फरइ ए। चक्र वचिइं छइ पूतली ए, जोवू हेर्छ तेलमाहे वली ए तस दृष्टि बाणइ वेधीइ ए, राधावेध ईणी परि साधीइ ए। इंद्रदत्त हरख घरइ घणओ ए, मुझ परिवार बहुल बेटा तणु ए नरवृत्त कन्या जे वरइ ए, मुझ राजनु भार ते उद्धरइ ए। पुत्र बावीसनइ नहीं कला ए, इंद्रदत्तइ मेहल्या मोकला ए ॥१२॥ सुमतिसुता सुत आणीओ ए, राय भाखड्यु कुण वाणीओ ए। सुमति कहइ तुम्ह राजबीज, नवि हुइ तु हुं करु अधीज लक्षणवंत गुण आगलु ए, राधावेध ते साधइ निरमलु' ए। नरवृत कन्या तिणइ वरी ए, सहु जयवर करइ मंगल करी ए राधावेध तेणी परिइं ए, नरभव छइ दोहिलु पुण्य करी ए। सोमविमलसूरी कहइ ए, पुण्य कीधइ वली वली ते लहइ ए
॥११॥
॥१३॥
॥१४॥
॥१५॥
1 aजत्रशत्रु, bजितशत्रु
2 सुमति
3थंभ 4 देवउ 5 मूक्या 6 सुणु 7aनरमलु, bनिरमलु
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