Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर श्रीनगर रतनपुर जाणीइ, सुरपुर समु वखाणीई । आणीइ अवर उपम कहु तस तणी ए www.kobatirth.org रतनसागर विवहारी अ', रतन तणु व्यापारी अ । सारीइ रतन रासि मेलइ घणी ए रतन एक नवि खरचइ ए, घणां घणेरा संचइ ए । वरचइ ए रतन े घणउ ते राखिवा ए 24 ॥ इति जूअ (द्युत) दृष्टांत चतुर्थ - ४ ॥ ॥ ढाल बाहुली॥ एकवार कुण कामइ ए, गयु एकणि गामइं ए। ठामइ ए ते रतन मेल्ही, सवि आपणां पुत्र रतन सवि' वावरइ ए, देसाउरि' लेई चलावई' ए । वस्तरइ देस वदेसइ जूजूआ ए रतनसागर आव्या घरे, रतन गयां कहुसी परे । सुंदरे कहइ ए तुम्ह पुत्रि वावर्या ए रतन सवे ते किम मलइ, सुरसानिधि आस्या फलइ । नवि मिलइ मणूअ जनम लही हारीओ ए ईम दोहिलु भव पांमीइ, धरम करु सवि धामीइ । स्वामीइ सोमविमलसूरि इम भणइ ए ॥ पांचमु रत्न दृष्टांत -५॥ ॥ ढाल ॥ 1 व्यवहारीया 2 जितन दिवसइ सूतु कापडी, सुहणइ एहवुं दीठ । पूनिम पूरु चांदलु, निज मुखमाहि पईठ 3 aसव्य, bसवि 4 परदेसी 5 संचरि 6 सामीअ हेमविमसीस Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only जून - २०१८ ॥सही ए०॥१॥ ॥ सही ए ० ॥२॥ ॥ सही ए० ॥३॥ ॥ सही ए० ॥४॥ ॥ स० ॥ ५॥ ॥स०॥६॥ ॥सही ए०॥७॥ ॥ सही ए०॥८॥ 11311

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