Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
श्रीनगर रतनपुर जाणीइ, सुरपुर समु वखाणीई । आणीइ अवर उपम कहु तस तणी ए
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रतनसागर विवहारी अ', रतन तणु व्यापारी अ । सारीइ रतन रासि मेलइ घणी ए
रतन एक नवि खरचइ ए, घणां घणेरा संचइ ए । वरचइ ए रतन े घणउ ते राखिवा ए
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॥ इति जूअ (द्युत) दृष्टांत चतुर्थ - ४ ॥ ॥ ढाल बाहुली॥
एकवार कुण कामइ ए, गयु एकणि गामइं ए। ठामइ ए ते रतन मेल्ही, सवि आपणां
पुत्र रतन सवि' वावरइ ए, देसाउरि' लेई चलावई' ए । वस्तरइ देस वदेसइ जूजूआ ए
रतनसागर आव्या घरे, रतन गयां कहुसी परे । सुंदरे कहइ ए तुम्ह पुत्रि वावर्या ए
रतन सवे ते किम मलइ, सुरसानिधि आस्या फलइ । नवि मिलइ मणूअ जनम लही हारीओ ए ईम दोहिलु भव पांमीइ, धरम करु सवि धामीइ । स्वामीइ सोमविमलसूरि इम भणइ ए
॥ पांचमु रत्न दृष्टांत -५॥
॥ ढाल ॥
1 व्यवहारीया 2 जितन
दिवसइ सूतु कापडी, सुहणइ एहवुं दीठ । पूनिम पूरु चांदलु, निज मुखमाहि पईठ
3 aसव्य, bसवि 4 परदेसी
5 संचरि
6 सामीअ हेमविमसीस
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जून - २०१८
॥सही ए०॥१॥
॥ सही ए ० ॥२॥
॥ सही ए० ॥३॥
॥ सही ए० ॥४॥
॥ स० ॥ ५॥
॥स०॥६॥
॥सही ए०॥७॥
॥ सही ए०॥८॥
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