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June-2018 कर्तानी अन्य कृतिओ
तेमणे वि. १५९१मां “गौतमपृच्छा-टबो”, वि. १६०२मां कुमारगिरिमां “श्रेणिक रास', वि. १६०३मां “नवतत्त्वलोक”, वि. १६०५मां “कल्पसूत्र टबो, संघचरित्र, नवकार चौपाई', वि.१६१५मां खंभातमां “धम्मिलकुमार रास', वि. १६२२ना श्रावण सुद ७ शुक्रवारे “विराटनगर"मां “चंपकश्रेष्ठि रास', वि. १६२७मां “दशवैकालिक टबो, विपाकसूत्र-टबो”, वि. १६३३मां अमदावादना राजपरामां “क्षुल्लककुमार रास" वि.१६४५मां “पट्टावली सज्झाय”, वि. १६५८मां “दश दृष्टांत गीता', कुमारगिरिमंडन शांतिनाथ स्तवन, दुहा ३८, पवलादिन प्रमाण अने लगनमान दुहा २५, स्तवन, गीतो वगेरे नी रचना करी. कर्तानी प्रभावकता
ते अष्टावधानी, इच्छालिपिवाचक, वर्धमानविद्या-सूरिमंत्र साधक, चौर्यादिभयनिवारक, संदेश द्वारा वंदनथी विविध रोगोना हरनारा इत्यादि प्रभाववाळा हता.
तेमने आ० आनंदसोम, आ० हंससोम (आ० हेमसोम), उ० देवसोमगणि, पं० विद्यारत्नगणि, पं० विद्याविजय गणि, पं० हर्षदत्त, पं० लक्ष्मीभद्र वगेरे २०० साधु शिष्योनो परिवार हतो.
कर्ता विषे वीस्तृत विवरण सोमविमलसूरि रास तेमज जैन परंपरानो इतिहास जेवा संदर्भ ग्रंथोमांथी प्राप्त थाय छे. अमें पण ऊपरोक्त माहिती ते संदर्भोना आधारे आपी छे. प्रत परिचय:
प्रस्तुत कृतिथी संबंधित त्रण प्रतो आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबामां उपलब्ध छे. (A)१००१२७, (B)१०३५३ तथा (C) ५११८८. __प्रत नं.१००१२७ने आधार प्रति मानीने आ कृतिनुं संपादन करवामां आव्यु छे. लिपिविन्यास, लेखनकला तथा कागळ आदिना आधारे आ प्रत विक्रमनी १८मी सदी उत्तरार्द्धनी होय तेम लागे छे. आ प्रतमां कुल ५ पत्रो छे, तेमां प्रत्येक पत्रमा १३ पंक्तिओ अने प्रत्येक पंक्तिमां लगभग ३१ थी ३२ अक्षरो छे. प्रतमां गेरु लाल रंगथी अंकित विशेष पाठ छे. अक्षर मोटा अने सुवाच्य छे. आवश्यकतानुसार अमें पाठांतर माटे प्रत (B) १०३५३ तथा (C) ५११८८नो उपयोग करेल छे. प्रत (C) ५११८८ मां मात्र प्रथम ढाल ज आपेल छे. तेना केटलाक पाठो शुद्ध होवाथी तेटला पूरतो (प्रथम ढाल पूरतो) तेनो पण उपयोग करेल छे. त्रणेय प्रतना पाठांतरो फुटनोटमां
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