Book Title: Shrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
13
जून-२०१८
॥१६॥
कांने ०॥१७॥
कांने ०॥१८॥
कांने ०॥१९॥
कांने ०॥२०॥
श्रुतसागर
॥ ढाल॥ दसमी पूज दयालनी सखि, उलटि अंग न माइ२२ रे । रतन जडित सिरि रूयडउ सखि, मुगट भर्यउ मनि भाइरे कांने कुंडल झलहलइ सखि, दीपइ जिम दिनकार रे। सुर नर ना मन मोहती सखि, जिनप्रतिमा सिणगार रे कंठ निगोदर कंठलउ सखि, माणिक मोती हार रे। बाहे अंगद बहरखा सखि, करता अति झबकार रे३४ फूलघरउ५ इग्यारमी सखी, रचीय तोरण माल रे। मंडप मंडी फूलनां सखि, चंद्रोदय चउसाल रे फूलपगर भर भूमिका सखि, बारमी पूजा ठाण रे। समवसरणि जिनवर तणइ सखि, देव करइ जिम जाण रे
॥ढाल ॥ विस्तर पूजा कहीयइ तेरमीजी, सोवन थाल विसाल। निर्मल चाउल रूपा तणेजी, लिखीयइ मंगल माल भवियण भावइ जिनवर पूजीयजी, वंछित फल दातार। गोत्र तिथंकर श्रेणिक बांधीउजी२६, ठाणा अंगि विचार दर्पण नइ भद्रासण भलउजी, मछजुगल आकार। वर्द्धमान सिरिवछ सोहताजी, पूनकलस सहकार२९ सुक्खकारणसन मन' साथीउजी, नंद्यावर्त्ति २ विचार। धूप उखेवण पूजा चवदमीजी, कृष्णागर घनसार जिनगुण गावइ पूजा पनरमीजी, सर संगीत सुजाण । मधुर सरइ करि जनम रंजवइजी, फलीयइं भाव प्रमाण
॥ढाल उल्लाला॥ समवसरण जिम सुरवर, देवप्रभावइ अपछर । अनुप मंडीयइ अवसर, नाटक नाचइ मणहर रिमझिम रिमझिम झंझर, घम घम घंम घंत घुग्घर । खलकइ सोवन चूडी, नाचइ हरषइ रूडी तिम जिनमंदिर सावइ, भगति भणी मन भावइ।
॥२१॥
भवि०॥२२॥
भवि०॥२३॥
भवि०॥२४॥
भवि०॥२५॥
॥२६॥
॥२७॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36