Book Title: Shrutsagar 2015 09 Volume 01 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सितम्बर २०१५ श्रुतसागर 13 पण रच्युं छे. आ विवरणमां अनेक अवतरणो एमणे आप्यां छे एथी आना महत्त्वमां वृद्धि थाय छे. आ विवरण सहित मूळनुं संपादन करनारे अवंतरणोनां मूळ स्थळोनो निर्देश कर्यो नथी एटलुं ज नहि पण आ अवतरणोनी अकारादि क्रमे सूची पण आपी नथी. आ तेमज अन्य केटलीक बाबतो विचारतां एम जणाय छे के आ विवरणनुं समीक्षात्मक पद्धतिए संस्करण थवुं घटे. तेम थाय तो आमां क्यां क्यां हरिभद्रसूरिनी कृतिओनो प्रभाव पड्यो छे ते सहेजे ख्यालमां आवे अत्यारे तो आ संबंधर्मा हुं छूटा छवाया विचारो ज रजू करूं छु - योगशास्त्र (प्र. १) मां श्लो. ४७- ५६मां पत्र ५० अ. आमां गृहिधर्म तरीके न्यायसंपन्न वैभव इत्यादिनो उल्लेख छे. ए हारिभद्रीय धर्मबिन्दुनुं स्मरण करावे छे. उपर्युक्त विवरण (पत्र ५३ आ ) मां धननी व्यवस्था केम करवी ए बाबतनां अवतरणो पंचसुत्तगनी हारिभद्रीय व्याख्या (पत्र ११ अ)मां पण अवतरणरूपे जोवाय छे. प्र. २, श्लो. १६ ना विवरण (पत्र ६५ आ) मां जे आठ प्रभावकोना अंगे अवतरण छे ए सम्यक्त्व - सप्ततिना नामे ओळखावाती अने केटलाकना मते हारिभद्रीय कृति गणाती अने सम्यक्त्व-सप्तति तरीके निर्देशाती दंसणसत्तरिनुं बलीसमुं पद्य छे. लोकविरुद्ध त्यागना स्पष्टीकरणरूपे प्र. ३ना स्वोपज्ञ विवरण (पत्र २३३ आ) मां सव्वस्स चेव निंदाथी शरू थतां जे लण अवतरणो छे त्रणे हारिभद्गीय पंचासग (पं. २) नी गाथा ८-१० रूप जोवाय छे. आ गाथाओ हरिभद्रसूरिनी पूर्वे रचायेली कोई कृतिमां वांच्यानुं मने पुरतुं नथी. जो ए अन्य पत्र न ज होय तो हेमचन्द्रसूरिए पंचासगमांथी उद्धृत करेल छे एम मनाय. ललितविस्तरा ए आगमोद्धारकना कथन मुजब चैत्यवंदनसूलनी सौथी प्रथम वृत्तिरूप छे. आ विषय योगशास्त्र (प्र. ३) ना विवरणमां पण छे एटले आ बनेनो सांगोपांग अभ्यास तुलनात्मक दृष्टिए करतां अनेक बाबतो जाणवा जेवी मळी आवे एम सहेजे मनाय. आथी जेमणे आ जातनो अभ्यास कर्यो होय तेओ हेमचन्द्रसूरि आ संबंधमां हरिभद्रसूरिना केटले अंश ऋणी छे ते सप्रमाण सूचववा कृपा करे एम इच्छु छु. हारिभद्रीय अष्टक प्रकरणनुं एक पद्य एना टीकाकार जिनेश्वरसूरिना मते महाभारतमांनुं छे आ पद्य योगशास्त्रमां जोवाय छे तो शुं हेमचन्द्रसूरिए आ पद्य अष्टकप्रकरणमांथी उद्धृत कर्तुं छे के महाभारतमांथी के अन्य कोई कृतिमांथी ए परबारुं लीधुं छे? For Private and Personal Use Only

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