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SHRUTSAGAR
16
September-2015
म. सा. के द्वारा सम्पादित ग्रन्थों की सूची दी गई है. इस ग्रन्थ में कोई उल्लेखनीय परिशिष्ट नहीं दिया गया है.
पुस्तक नाम: भिक्षु आगम विषय कोश, भाग - १ -२,
प्रकाशक : जैन विश्व भारती-लाडनूं
प्रकाशन वर्ष : ई. १९९६, पृष्ठ : ४३+७५७
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परिचय – मुनि दुलहराज व सत्यरंजन बनर्जी के सहयोग से आचार्य महाप्रज्ञ के द्वारा सम्पादित तथा जैन विश्वभारती लाडनूं से ई. १९९६ में प्रकाशित प्रथम भाग में पाँच आगम- आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नंदी और अनुयोगद्वार से १७५ विषयों का तथा ई. २००५ में प्रकाशित द्वितीय भाग में दशवैकालिक, आचारचूला, निशीथ, दशाश्रुतस्कंध, बृहत्कल्प व व्यवहारसूत्र के कुछ नए विषय तथा कुछ ऐसे विषय, जो प्रथम भाग में न आ सके, ऐसे १२४ विषयों का चयन किया गया है.
जिनमें मुख्य रूप से तत्त्वदर्शन, कर्मसिद्धान्त, चिकित्साशास्त्र, आचारसंहिता, प्रायश्चितसंहिता, जीवविज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास आदि अनेक दृष्टियों का समावेश है, जो जिज्ञासुओं के लिए बहुत ही मूल्यवान है. अनेक ग्रन्थों की सामग्री का एक साथ संकलन किए जाने के कारण कोशकार का श्रम शोधकर्त्ता के श्रम को स्वल्प बना देता है. यह जैन साहित्य का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व उपयोगी कोशग्रन्थ है.
प्रस्तुत कोश आगमों में आनेवाले विषयों का परिचयात्मक व सन्दर्भात्मक विषयकोश है. इसमें शब्दकोश की भांति प्रत्येक शब्द का अर्थ नहीं दिया गया है, बल्कि महत्त्वपूर्ण व उपयोगी विषयों का संकलन व उनका विस्तृत विवेचन किया गया है.
इस कोश में सर्वप्रथम गृहीत विषय का शब्दार्थ बतलाकर उसमें विवेचित विन्दुओं की सूची दी गई है. इससे पाठक को प्रथम दृष्टि में ही विषयसंबद्ध महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं की सूचना मिल जाती है. जैसे अभिनिबोधिक ज्ञान मूल विषय है, इसमें उसका निर्वचन, परिभाषा, पर्याय, भेद-प्रभेद आदि बिन्दुओं का विवेचन किया गया है. जो विषय अधिक विस्तृत हैं, उनके भेदों को स्वतन्त्र विषय के रूप में ग्रहण किया गया है. प्रस्तुत कोश में निम्नलिखित पाँच आगमों तथा उनके व्याख्याग्रन्थों का समवतार किया गया है -
आवश्यकसूत्र - आवश्यकसूत्र की निर्युक्ति, चूर्णि, हारिभद्रीया वृत्ति तथा
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