Book Title: Shrutsagar 2015 09 Volume 01 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 25 श्रुतसागर सितम्बर-२०१५ सिद्ध होता है. छोटे से छोटे तथा बड़े से बड़े, पालतू जानवरों के साथ-साथ जंगली जानवरों तथा जलचर से लेकर थलचर, नभचर; हर प्रकार के जीव के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने हेतु अत्यन्त उपयोगी है. इसकी विशिष्टता इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह इस तरह का पहला संग्रह है और यह सुन्दर चित्रों के साथ प्रकाशित किया गया है. यहाँ कीट-पतंगों से लेकर जलचर व जंगली जानवरों के कुल ५७० नामों को अकारादिक्रम से संयोजित किया गया है. इसमें मूल शब्द प्राकृत भाषा के हैं, जो Bold type में हैं. उसके सामने कोष्ठक में संस्कृत छाया दी गई है. जो देशी शब्द हैं, उनके मूल शब्द को ही कोष्ठक में दिया गया है. कोष्ठक के सामने उसके प्रमाणस्थलों का निर्देश है. मूल प्राकृत शब्द के नीचे अंग्रेजी में प्रचलित संज्ञा है. अंग्रेजी शब्दों के सामने हिन्दी के पर्याय तथा क्वचित् अन्य भाषा के पर्याय भी दिए गए हैं. जैसे- पृ ४५ पर दाहिनी ओर से तीसरा शब्द है- 'छीरल'- उसके आगे उसकी संस्कृत छाया लिखा है-[क्षीरल], उसके आगे उसके प्रमाणस्थल का निर्देश हैप्रश्नव्या. १/८. प्राकृत शब्द के नीचे उसका अंग्रेजी में नाम दिया गया है- SnakeSkink. उसके आगे उसके हिन्दी पर्याय दिये गए हैं - नागर बामणी, सांप की बामणी, बामणी, क्षीरल (उत्तर प्रदेश). उसके बाद उसका आकार दिया गया है- छिपकली से काफी पतली एवं लम्बी. उसके पश्चात् उसका लक्षण दिया गया है - इसका शरीर कुछ चपटा तथा पैर पूर्ण विकसित होते हैं. थूथन से मलद्वार की लम्बाई ८५ M.M. तक हो सकती है. पूँछ की लम्बाई मुख्य शरीर से कुछ अधिक होती है. निचली पलकों पर आरपार देखने के लिए पारदर्शक खिड़की होती है. प्रौढ का रंग भूरा तथा शरीर के प्रत्येक चकते के आधारवाले भाग में एक काला धब्बा होता है. बच्चों की पूंछ का रंग लाल होता है, जैसे-जैसे अवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे लाल रंग फीका पड़ने लगता है. परिशिष्टादि - इस पुस्तक के अन्त में तीन परिशिष्ट दिए गए हैं. पृ.१०० पर प्रथम परिशिष्ट में अकारादिक्रम से प्राकृत शब्दों के हिन्दी व अंग्रेजी अर्थ दिए गए हैं. पृ.११४ पर द्वितीय परिशिष्ट में द्वीन्द्रिय जीवों के अकारादिक्रम से नाम दिए गए हैं तथा पृ. ११८ पर सन्दर्भग्रन्थों की सूची दी गई है. For Private and Personal Use Only

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