Book Title: Shrutsagar 2015 09 Volume 01 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 24 September-2015 इनमें भी शूकयुक्त या विहीन भेद पाए जाते हैं. कड़ा, मुलायम, श्वेत या लाल आदि दाने के भेद होते हैं. खाने के लिए बड़ा दानेवाला तथा स्टार्च के लिए मुलायम गेहूँ काम में लाया जाता है. महागोधूम, मधूली और दीर्घगोधूम, इन भेदों से यह तीन प्रकार का होता है. महागोधूम, यह भारत के पश्चिमी देशों, पंजाब आदि से आता है. मधूली – यह बड़ा गेहूँ की अपेक्षा कुछ छोटा होता है तथा मध्यदेश आगरा, मथुरा आदि में उत्पन्न होता है. दीर्घगोधूम- यह शूक (टुंड) रहित होता है तथा इसे कहीं-कहीं नंदीमुख भी कहते हैं. इसके आगे उसका प्रमाणस्थल- (भाव-नि० - धान्यवर्ग०- पृ. ६४१-६४२.) भी दिया गया है. पुस्तक नाम ः जैनआगम प्राणी कोश प्रकाशक : जैन विश्व भारती-लाडनूं प्रकाशन वर्ष : ई.१९९९, पृष्ठ : १०+१+१२० परिचय - आचार्य महाप्रज्ञ व मुनि वीरेन्द्रकुमार के द्वारा सम्पादित तथा जैन विश्वभारती लाडनूं से प्रकाशित यह ग्रन्थ जैन साहित्य का एक अत्यन्त उपयोगी कोशग्रन्थ है. यह एक ऐसा ग्रन्थ है, जिसमें आगमों में उल्लिखित द्वीन्द्रीय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के सभी प्राणियों का सचित्र परिचय दिया गया है. आगमों में प्राणियों के नाम यत्र-तत्र विपुल मात्रा में मिलते हैं. परन्तु उनकी पहचान करना बहुत कठिन कार्य है. मुनि वीरेन्द्रकुमार ने इस दिशा में बहुत ही अच्छा कार्य किया है. इस कार्य के लिए लगभग ४० जैन-जैनेतर ग्रन्थों का अध्ययन किया गया. ___ 'भारतीय जीवजन्तु के विषय में जानकारी प्राप्त करने वालों के लिए यह एक उपयोगी ग्रन्थ सिद्ध होगा. भगवतीसूल, प्रज्ञापणासूल, जीवाभिगम, प्रश्नव्याकरण, उत्तराध्ययनसूत्र आदि आगम साहित्य में जीव-अजीव का विस्तृत वर्णन है. इस कोश में मूल आगमिक प्राणी नामों के साथ-साथ उनके सन्दर्भ एवं हिन्दी अंग्रेजी तथा जहाँ सम्भव हुआ, वहाँ तकनीकी नाम भी दिए गए हैं. जीवों के अन्य पर्यायवाची नाम भी बतलाने का प्रयास किया गया है. प्रत्येक जीव का आकार-प्रकार, लक्षण, वर्णन आदि बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे उस जीव की पहचान करने में सरलता होती है. इस कार्य को और अधिक उपयोगी बनाने हेतु जीवों के चित्र भी प्रस्तुत किए गए हैं. उपयोगिता- यह ग्रन्थ विद्वानों तथा शोधकर्ताओं के कार्य में बहुत बड़ा सहायक For Private and Personal Use Only

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