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सितम्बर-२०१५
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श्रुतसागर
उपयोगिता - यह ग्रन्थ विद्वानों तथा शोधकर्त्ताओं के कार्य में बहुत बड़ी सहायता प्रदान करता है. इस कोश के अंतर्गत निर्युक्ति, भाष्य व चूर्णि सहित जैन आगमों में आनेवाले प्राकृत भाषा के विशेष नामों का परिचय दिया गया है.
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४५ आगमग्रन्थों तथा उनकी निर्युक्ति, भाष्य चूर्णि आदि में आनेवाले संज्ञावाचक नाम अर्थात् व्यक्तिविशेष, तीर्थंकर, चक्रवर्ती, गणधर, ऋषि, उपासक, उपासिका, श्रमण, श्रमणी, राजा, रानी, सेठ, सेठानी, देव-देवी, यक्ष आदि, उद्यान, सरोवर, नगर, ग्राम, सन्निवेश, नदी, समुद्र आदि एवं भौगोलिक स्थलों के नाम, गण, गच्छ, कुल, गोत्र, जाति इत्यादि के नामों का अकारादिक्रम से उल्लेख तथा उनका सन्दर्भसहित संक्षिप्त परिचय दिया गया है.
'अ' से 'न' तक के अक्षरों से प्रारम्भ होनेवाले शब्दों का समावेश प्रथम भाग में तथा 'प' से 'ह' तक के अक्षरों से प्रारम्भ होनेवाले शब्दों का समावेश द्वितीय भाग में किया गया है, इस कोशग्ग्रन्थ के दोनों भागों में जैन श्वेताम्बर आगम ग्रन्थों से कुल ८००० शब्द संग्रहित किए गए हैं.
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परिशिष्टादि प्रथम भाग के प्रारम्भ में प्रकाशकीय वाले पृष्ठों पर संकेतसूची तथा सन्दर्भग्रन्थसूची दी गई है. जिससे ग्रन्थ में प्रयुक्त संक्षिप्त शब्दों तथा सन्दर्भग्रन्थों में के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. यहाँ प्रारम्भ में Bold type में अकारादिक्रम से विशेष नाम दिए गए हैं. उसके आगे कोष्ठक में उसके संस्कृत रूप दिए गए हैं. उसके बाद उसका परिचय दिया गया है.
उस परिचय के अंदर यदि बीच में कोई शब्द Bold Type में दिए गए हों तो इसका यह अर्थ है कि उस शब्द का परिचय आगे स्वतंत्र रूप से उसके योग्य अकारादिक्रम पर अवश्य मिलेगा. प्रत्येक विशेषनाम के परिचय समाप्त होते ही तुरन्त उसके नीचे छोटे टाईप में मूल स्रोतों के सन्दर्भस्थानों का निर्देश दिया गया है. पुस्तक नाम : जैन आगम वाद्य कोश
प्रकाशक : जैन विश्व भारती-लाडनूं प्रकाशन वर्ष : ई. २००४, पृष्ठ : १०+५४
परिचय - आचार्य महाप्रज्ञ, मुनि वीरेन्द्रकुमार व मुनि जयकुमार के द्वारा सम्पादित तथा जैन विश्वभारती लाडनूं से ई. 2004 में प्रकाशित यह ग्रन्थ जैन साहित्य का एक अत्यन्त उपयोगी कोशग्रन्थ है. यह एक ऐसा ग्रन्थ है, जिसमें आगमों
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