Book Title: Shrutsagar 2015 09 Volume 01 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
12
September-2015
हरिभद्रसूरिकृत समराइच्चचरिय ज छे, केमके एनाथी कोई विशेष प्राचीन चरित्र चन्द्रसूरिने मळ होय एम लागतुं नथी.
विशेषमां हरिभद्रसूरिनी पछी अने हेमचन्द्रसूरिनी पूर्वे थयेला कोईए समरादित्यचरित्र रचुं होय एम जणातुं नथी आ उपरांत धनपाले तेमज उद्योतनसूरिए जे समराईच्चचरियनी प्रशंसा करी छे. ते हारिभद्रीय ज छे. आवी परिस्थितिमां हुं अत्यारे तो ए मत धरावुं छु के आ उल्लेख हारिभद्रीय कृतिने ज लक्ष्यमा राखीने हेमचन्द्रसूरिए कर्यो छे.
हेमचन्द्रसूरिए न्यायने अंगे प्रमाणमीमांसा रची छे अने एने स्वोपज्ञवृत्तिथी विभूषित करी छे. आ एमनी रचना पूरे पूरी हजी सुधी तो मळी आवी नथी एटले अनेकांतवादना महानिबंधरूप अनेकांतजयपताका स्वोपज्ञवृत्तिपूर्वक हरिभद्रसूरिए रचीछे तेनो उपयोग हेमचन्द्रसूरिए आगळ जतां कर्यो छे के केम ते जाणवुं बाकी रहे छे.
प्रमाणमीमांसा (अं. १, आ. २, सू, १२) नी स्वोपज्ञवृत्ति (पृ. ४३) मां “यदाहुः” एवा उल्लेखपूर्वक निम्नलिखित बे पद्यो अपायां छे -
"गम्भीरगर्जितारम्भनिर्भिन्नगिरिगह्वराः । त्वङ्गत्तडिल्लतासङ्गपिशङ्गोत्तुङ्गविग्रहाः ।
आ बने पद्यो हेमचन्द्रसूरिथी पूर्वकालीन जयन्त भट्टनी न्यायमंजरी (पृ. १२९) मां नजरे पडे छे. बने पद्योने अंगे भेगो “यदाहुः” जेवो उल्लेख छे ए जोतां तो ए बने पद्यो एकज कृतिनां होवानुं अनुमनाय. आवी परिस्थितिमां हरिभद्रसूरिकृत षड्दर्शनसमुच्चयनो वीसमो श्लोक जे रोलम्बथी शरू थाय छे ते अत्र उद्धृत करायानुं केम मनाय.
वळी,केटलाक आधुनिक विद्वानो तो षड्दर्शनसमुच्चयमांनी आ वीसमो श्लोक हरिभद्रसूरिए न्यायमंजरीमांथी लीधानुं माने छे तेनुं केम ? आ संबंधमां में थोडीक हरिभद्र चर्चा अनेकांतजयपताका (खंड- २ ) ना मारा अंग्रेजी उपोद्घात (पृ. ४२ ) मां करी छे.
हरिभद्रसूरिनी पूर्वे कोईए प्रमाणमीमांसा नामनी कृति रची छे एम अनेकांतजयपताका (खंड-२, पृ. ६८) उपरथी जणाय छे. शुं आ हारिभद्रीय उल्लेख हेमचन्द्रसूरिने पोतानी कृतिनुं नाम प्रमाणमीमांसा राखवामां प्रेरक बन्युं हशे ?
हेमचन्द्रसूरिए योगशास्त्र रच्युं छे एटलुं ज नहि पण एना उपर स्वोपज्ञ विवरण
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36