Book Title: Shrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर 17 अप्रैल - २०१५ नायक प्रभुजी पद्मासनमां कमळना आसन पर बिराजमान छे. वळी ते कमळ पण धरणेंद्र-पद्मावती द्वारा पूछना अग्रभागथी धारण करायुं छे. ते ज रीते जाणे हजु पण प्रभुनुं रक्षण न करी रह्या होय तेवो भाव दर्शाववा प्रभुना मस्तक उपर फणाने धारण करता देखाय छे. तो प्रभु प्रत्येना समर्पण भावने व्यक्त करवा धरणेन्द्र अने पद्मावती कमलासीन परमात्मानी समीपे अंजलीमुद्रामां बिराजमान थयेला जोवा मळे छे. देव-देव वैरुट्या www.kobatirth.org धरणेंद्र- पद्मावतीनी बन्ने बाजु सोळ विद्यादेवी पैकीना अच्युता अने वैरूट्यादेवीनी प्रतिमा जोवा मळे छे. तेनी नीचे नेमिनाथ प्रभुना यक्ष तथा यक्षिणीनी मूर्ति छे. मूर्ति उपर देव-देवीना नामो नथी परंतु तेना आयुधो वाहनो उपरथी ज नामो नो निर्णय करवो पडे छे. अच्युप्ता गोमेध अंबा वाहन अजगर घोडो कमळ कमळ आयुध डावा हा तलवार - सर्प Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाण-तलवार जमा हा खेटक (?) सर्प ढाल- धनुष्य नोळियो विद्यादेवी विद्यादेवी यक्ष (नेमिनाथ) यक्षिणी (नेमिनाथ) चक्र आम्रलुंब बाळक अहिं कलमासन उपर स्थापन थयेला गोमेध यक्षनुं मूळ वाहन नर छे तेमज मूळनायक परमात्माना डाबा हाथे स्थापन थयेल अंबा देवीनं मूळ वाहन सिंह जाणवुं. For Private and Personal Use Only अहिं एक प्रश्न उभो थाय के जो मूळनायक रूपे पार्श्वनाथप्रभुनी प्रतिमाजी होय तो नेमिनाथ प्रभुना यक्ष-यक्षिणी ने अहिं शा माटे भुकाया ? त्यार पछी प्रतिमाना नीचेना भागे नव ग्रहनी आकृतिओ छे. अने तेनी बराबर नीचे सिंहासनस्थ कोई अधिष्ठायकनी के कां कोई श्रेष्ठिनी दाढी सहितनी जनोईवाळी मूर्ति छे. जो के ते कोनी छे ते अंगे निर्णय करवो घणो कठिन छे. प्रतिमाजीनी शैली अंगे विचारता एवं लागे छे के आ आकोटा शिल्पनी मूर्ति हशे. आवी मूर्तिओ घणा वखत पूर्वे आकोटा (वडोदरा) मांथी नीकळेली. जे आकोटा शिल्पना नामे ओळखाणी. ते प्रतिमाना परिकरादिमां पण प्रस्तुत शैली ज जोवा मळी हती, आथी ज अनुमान थाय छे के आ प्रतिमाजी पण आकोटा शैलीनी ज हशे . जो के महाराष्ट्रमा आ मूर्त्तिनुं स्थळांतर केम थयुं ? क्यारे थयुं ते तो प्रश्नरूपे ज रहेशे?

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