Book Title: Shrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अप्रैल - २०१५ 29 श्रुतसागर त्यार पछी ए नगरना देवराजे एक वेळा एना अनुज हेमराजनी अने घटसिंहनी संमति लइ वाचक मुनिसुंदरना सूरि-पदना महोत्सवार्थे पुष्कळ धन खर्च्य, ए वात रजू कराई छे. प्रसंगवशात् ए मुनिसुंदरनी बुद्धि, सहस्रावधानता इत्यादिनो उल्लेख छे. देवराजे संघपति बनी मुनिसुंदरसूरिनी साथे शत्रुंजयनी यात्रा करी, एम कही आ सर्ग पूर्ण करायो छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सातमा सर्गनी शरूआतमां 'ईलदुर्ग' नामना नगरनुं वर्णन छे. त्यारबाद एवो उल्लेख छे के ए नगरना रणमल्ल राजाने श्रीपुंज नामे पुत्र हतो. एनो वच्छराजना पुत्र गोविंद तरफ सद्भाव हतो. ए गोविंदे कुमारपालविहारनो उद्धार कराव्यो अने आगळ जतां पोताना पुत्र श्रीवीरनी संमतिथी सोमसुंदरसूरिने हाथे धामधूमपूर्वक जयचन्द्र वाचकने 'सूरि' पद अपाव्यं. पछी ए गोविंद संघपति तरीके शत्रुंजय, गिरनार, सोपारक, अने तारणगिरि (तारंगा) नी यात्रा करी पोताने नगरे पाछो फर्यो त्यारे एना पुत्र श्रीवीरे एनो सत्कार कर्यो. ए गोविंदने तारणगिरि उपर अजितनाथनुं नवं बिंब स्थापन कराववानी भावना थई एटले एणे अंबिका देवीनुं आराधन करी एनी पासेथी वरदान मेळव्युं अने ए द्वारा योग्य शिला प्राप्त करी. पछी एनी प्रतिमा घडातां एणे सोमसुंदरसूरिने हाथे एनी प्रतिष्ठा करावी. आठमा सर्गना प्रारंभमां कह्युं छे के सोमसुंदरसूरि विहार करता देवकुलपाटकमां पधार्या. त्यांना संघपति निंबे के जेणे खागहडी नामना नगरमां जिनमंदिर कराव्यं हतुं, एणे पुष्कळ द्रव्य खर्ची भुवनसुंदर वाचकना 'सूरि' पदने अंगे महोत्सव कर्यो. पछी ए नवीन आचार्य कर्णावती गया त्यारे गुणराजे प्रवेशोत्सव कर्यो. एना भाई आए आचार्य पासे दीक्षा लीधी. आगळ उपर ए आचार्ये शत्रुंजय माहात्म्य वांची संभळाव्युं. ए उपरथी गुणराजे नियम लीधो के 'ज्यां सुधी हुं धामधूमपूर्वक शत्रुंजये जई आदिनाथने प्रणाम न करूं त्यां सुधी मारे दहीं- दूधनो त्याग छे. 'दीपालिका-पर्व' आवतां तीर्थयात्रा माटे एणे तैयार करी. अहिम्मद पादशाहे कबाहि वगेरे माणसो साथै एने दिव्य वस्त्रोनो पोषाक आप्यो. वळी पोतानी वा (द्वा) गति आपी अने हजारो सुभटो आप्या. वळी राजाने लायक नफेरी वगेरे वाद्य आप्यां. ! शुभ मुहूर्ते गुणराज संघ सहित नगरमांथी नीकळ्यो ते समये उत्तम शुकन थयां. मस्तक उपर जळनो कुंभ राखीने सौभाग्यवती स्त्री सामी आवती मळी. आभूषणोथी विभूषित पण्यांगना दृष्टिपथमां आवी. For Private and Personal Use Only

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