Book Title: Shrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 31 श्रुतसागर अप्रैल-२०१५ पछी लक्ष्मीसागर सूरिराज विषे एम कर्तुं छे के जीर्णदुर्ग (जूनागढ)ना राजानी सभामां अजैन मतनुं एमणे खंडन कर्यु हतुं. ए सूरिए पित्तळनी प्रतिमाओनी प्रतिष्ठा करी हती. अने ‘लाटापल्ली' नगरना दाक्षिणात्य महादेवे पुष्कळ द्रव्य खर्ची ए सूरिने हाथे अपायेला बे वाचक पदवीने अंगे उत्सव को हतो. विशेषमा ए सूरिए ७२ जिनालयोमा एमणे चोवीशीनां बिंबनी प्रतिष्ठा करी हती. सोमदेवसूरिने प्रबळ वादी अने प्रखर वक्ता तेमज कुशळ कवि तरीके वर्णव्या छे. साथे. साथे एमनी समस्याशक्तिथी जूनागढनो राजा राजी थयो हतो. एम अहीं कर्तुं छे. त्यारबाद रत्नमंडनने उत्तम वक्ता अने कवि कह्या छे. एमना पछी सोमजयसूरि, उपाध्याय साधुराज, 'कृष्ण सरस्वती' चारित्ररत्न, उपा. सत्यशेखर, हेमहंस, पंडित विवेकसागर, राजवर्धनसूरि, चारित्रराजसूरि, पंडित पुण्यराज, श्रुतशेखर, वीरशेखर, सोमशेखर, ज्ञानकीर्ति, शिवमूर्ति, धर्ममान, ज्योतिर्विद् हर्षमूर्ति, हर्षकीर्ति, हर्षभूषण, हर्षवीर, जयशेखरसूरि, अमरसुंदर, लक्ष्मीभद्र, व्याकरण वेत्ता सिंहदेव, व्याख्यानकळा कोविद पंडित रत्नप्रभ, शीलभद्र, नंदिधर्म, शांतिचंद्र गणि, विनयसिंह गणि, अने हर्षसेन गणि विषे उल्लेख छे. त्यारबाद सोमसुंदरसूरिना गच्छनी तेमज ए सूरिनी प्रशंसा कराई छे. अंतमां आ काव्य वि. सं. 1542मां रचायु अने एनुं संशोधन सुमतिसाधु ए कर्यु. ए बाबत रजू करी आ सर्गनी अने साथे साथे आ काव्यनी पूर्णाहुति कराई छे. आ उपरथी जोई शकाशे के आ काव्य सोमसुंदरसूरिनुं चरित्र रजू करे छे. अने प्रसंगवशात् पांचसो-छसो वर्ष उपरनी सामाजिक परिस्थितिनो ए समयना भोजन समारंभनो, सूरि विगेरे पदवीओने अंगेना महोत्सवोनो, विविध तीर्थयात्राओनो, संघोनो परिचय करावे छे. प्रकाशन :- “जैन ज्ञान प्रसारक मंडळ" तरफथी प्रस्तुत काव्य गुजराती भाषांतर सहित सने १९०५मां छपावायु छे खरं, परंतु एमां अशुद्धिओ छे अने गुजराती भाषांतर तो केटलीकवार गेरसमज उभी करे तेवु छे. एथी आ शब्दलालित्यथी विभूषित काव्य ऐतिहासिक दृष्टिए पण उपयोगी होवाथी एनुं विशिष्ट टिप्पण सहित समुचित संपादन थq घटे अने बने तो एनो गुजराती अनुवाद पण प्रकाशित करवो जोईए. (जैन सत्यप्रकाश, वर्ष-18, अंक नं.-1) For Private and Personal Use Only

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