Book Title: Shrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
26
APRIL 2015
ब्रह्मा तेमज ऋषभदेव एम उभयने अंगे घटे एवा श्लेषात्मक श्लोकथी आ काव्यनो प्रारंभ करायो छे. त्यारबाद शांतिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीरस्वामी अने सरस्वतीदेवीने अंगे एकेक श्लोक छे.
श्लो. ११ मां 'गुजरात' माटे 'गूर्जरला' शब्द वपरायो छे. श्लो. ११-३९मां 'प्रह्लादनपुर' याने पालनपुरनुं वर्णन छे. एमां ए नगरना गोळाकार किल्लानो अने एनी धर्मशाळा ओनो अने लेखशाळा (निशाळ) नो उल्लेख छे.
श्लो. ४०-४९मां ए नगरना शेठ सज्जननुं वर्णन छे. श्लो. ५०-६२ ए शेठनी पत्नि आल्हणदेवीने अंगेना छे. ए पैकी श्लो. ५२-५४मां कह्युं छे के ए स्त्री ते सीता, दमयंती, सुलसा, रमा, मनोरमा, मदनरेखा, भद्रा, सुभद्रा, अंजना, कुंती, मृगावती के ज्येष्ठा तो नथी एवा विकल्पो विबुधोने विषे उत्पन्न करती हती.
बीजा सर्गनी शरूआतमां कह्युं छे के आल्हणदेवी रात्रे स्वप्नमां चन्द्र जुए छे, अने सवार पडतां ए पोताना पतिने ए वात करे छे, त्यारे ते कहे छे के तने चंद्र समान पुत्र थशे. कालांतरे ए देवी पुत्रने जन्म आपे छे.
बारमे दिवसे सज्जन शेठ सगां-वहालांने जमवा तेडे छे. एनुं वर्णन करतां कवि कहे छे के सौथी प्रथम तो सोना रूपा अने कांसानां पात्रो गोठवाय छे. पछी दराख, अखरोट', साकर अने चारोळी पिरसाय छे. त्यार बाद लाडु, चकचकतो गोळ े अने खाजां पिरसाय छे. ए पछी वडां, घेबर, लापसी, कपूरी शाळनो कूर, मगनी छडेली दाळ, घी, जीवंती नामनो मनोहर पाक अने जातजातनां शाक पिरसाय छे.
सज्जन पंखो नांखे छे. पछीथी एक कपूरथी भरेलो, अने घोल' ना कल्लोलथी सुंदर एवो उत्तम शाळनो करंबो पिरसे छे. जमण पूर्ण थतां पाननी बीडी आपी सगांवहालांने ए सज्जन ऊंचे आसने बेसाडे छे अने पोताना पुत्रनुं नाम 'सोम' पाडे छे. सोम पांच वर्षनो थतां एनुं निशाळगरणं कराय छे. एने अंगेना वरघोडामां नर्तकीओ नृत्य करे छे.
उपाध्याय ओंकारपूर्वक मातृका सोमने शिखवे छे. जोत- जोतामां तो ए सोम
१. मूळमां 'अखोड' शब्द छे, पण 'अक्षोट' जोईए., २. मूळमां स्फुरत्-फाणिता शब्द छे. गुजराती भाषांतरमा आनो अर्थ 'सूतरफेणी' करायो छे ते भूल छे., ३. मूळमां 'लपनश्री' शब्द छे., ४. आ पाशेन बने छे ते जाणवुं बाकी रहे छे., ५. कपडा वडे छणेलुं मथेलुं दहीं., ६. आ दहींना पांच नवियतामानुं एक छे. जुओ पच्चक्खाणभाष्य (गा. ३३), ७. आ प्रथा विचित्र जणाय छे. आगळ उपर दीक्षाना वरघोडामां पण वारांगनाओना नृत्यनी वात आवे छे., ८. बाराखडी.
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